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9 May 2022 · 1 min read

मां

कोई नहीं मिलता
अब रूठ जाने को
बिना मतलब अपनी
हनक दिखाने को
वो मां तेरी याद आती है

हर कोई मान जाता है
कह दूं
खा के आया हूं
वो परस लाती थी
थाली , कह देने पर भी
वो मां तेरी याद आती है

जैन साहब तो कुछ
नहीं बोलते
बस मेमसाब बोलती है
आगे आके बचा लेती
उठते बच्चों पर सवाल
को ढाल बनकर
वो मां तेरी याद आती है

गतिरोध उभरते रहते
जब भी आपस में विचारों
के , घर में
जो कुछ हिस्सा कथन मेरा
कुछ हिस्सा कहा पिता का
छिपा के, बात बनवा देती
वो मां तेरी याद आती है

उसका कोई अपना पक्ष न हो
ऐसा नहीं था
पर जब घर में दो पक्ष हो जाएं
तो उसका पक्ष , दोनो पक्षों को
एक कराना हो
तो मां तेरी याद आती है

कितनी गलतियां मेरी
न आ पाई सामने सबके
उनको छुपाना
उस बृहद आंचल में
वो मां तेरी याद आती है

बहुत दिन हुआ
किसी ठीक से कहा ही नहीं
बहुत थक गया होगा
आराम कर ले
वो मां तेरी याद आती है

डा. राजीव सागर
सागर म. प्र.

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 441 Views
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