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11 Jan 2022 · 2 min read

मां की ममता

मां की ममता

मेरी मां तब मुझे क्रोध करती
फिर भी क्राध्ेा में ममता छलकती
फिर उपर नीचे मैंने पटकती
कहे तू खूब पढ़ा कर
मैं तो ना पढण पाइ्र
क्यू अनपढ़ रही बताई
मैरे तो काम नै घणी सताई
कहै तू खूब पढ़ा कर
तेरी ममता का आंचल मां
तेरी लाज राखूंगा मां
तेरा नाम रोशन करूं मां
कहे तू खूब पढ़ा कर
मैं टेम पै छोरियां मैं
नाम गाम अर गोरियों में
बाहर ना काढ़ा करते
कहे तू खूब पढ़ाकर
आज तेरी ममता का
भाई बाहण समता की
इस कलीहारी जनता का
मैंने करा छट कर सामना
कहे तू खूब पढ़ा कर
तेरी रोटी की वा याद
बाजरे की खिचडी कर याद
घणाएं आया करता स्वाद
कहे तू खूब पढा कर
जित जाउं उडे ले ज्या
खेत पिहर गेल्या ले ज्या
फेर मन्नै अण्डे जू से ज्या
कहे तू खूब पढा कर
तेरी ममता का मैं क्यूंकर कर्ज तारू
तेरे कर्म का मैं क्यूकर फर्ज तारू
मन्नै नौकरी मिले या कयूकर मर्ज तारू
कहे तू खूब पढ़ा कर
आपणा गाम में सै एक फट
है सबतै निर्धन अर जरजर
मैं तेरे खातर फिरू सूं दर-दर
कहे तू खूब पढ़ा कर
सारे समाज में इज्जत खूब होरी सै
मेरे दो छोरे अर दो छोरी सै
इनकी ममता मन्ने दिल में वे याद लोरी सै
कहे तू खूब पढ़ा कर
पिता भी डाटया करता
खेत घर का काम खूब करा करता
फेर भी छह जीव का पेट भरा करता
तन्ने कहा तू खूब पढा कर
मेरे बालकां नै मैं अच्छी नौकरी लगाउं
अच्छा छोकरा छोरी खातर छोरा खातर अच्छी छोकरी ल्याउं
फेर में घणा सामान खाण का टोकरी भर भर ल्याउं
कहवै तू खूब पढा कर
तेरी ममता का फर्ज मेरे तै जीते ना उतरैगा
अगर नौकरी मिलगी तो मां तन्नै ना खतरेगा
फेर आपने बालकां को पेट ठीक भरदे गा
कहवै तू खूब पढ़ा कर
खान भावडिया नै मां की ममता बताई
सारे न बराबर समझे ना कदे करै सताई
सारे गाम के सुन लो चाचा ताऊ बाहण भाई
कहवै तू खूब पढ़ा कर।
©

खान मनजीत भावड़िया मजीद
गांव भावड़ सोनीपत हरियाणा
9671504409

Language: Hindi
Tag: कविता
341 Views
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