माँ, हर बचपन का भगवान

माँ, हर बचपन का भगवान |
सजग सुकोमल मनभावन ममता का अमल वितान |
जित देखो उत प्रेम-फुहारों से भरती सुत का दिल |
सदा सुहावन लोरी गाकर, बनी गुणी सह काबिल |
निद्रा की पुचकार -प्रदातारूपी बनी विधान |
माँ हर बचपन का भगवान |
शांति और अपनापन के आभारूपों का सावन |
माँ-अंदर देखा ममतामय ऊँचा दिल मनभावन |
सारी दुनिया से उत्तम माँ-आँचल का परिधान |
माँ, हर बचपन का भगवान |
पावन ज्ञान-ध्यान को तजकर बनी सदा वह मेरी |
तू-तू मैं-मैं के काँटों में प्रेम-बेर की ढेरी –
जैसी बनकर छाई दिल में, तज कर सकल गुमान |
माँ, हर बचपन का भगवान |
……………………………………………………
●उक्त रचना को मेरी कृति “जागा हिंदुस्तान चाहिए” काव्य संग्रह के द्वितीय संस्करण में भी पढा जा सकता है।
●जागा हिंदुस्तान चाहिए काव्य संग्रह का द्वितीय संस्करण अमेजोन और फ्लिपकार्ट पर उपलब्ध है।
पं बृजेश कुमार नायक
सुभाष नगर कोंच
केदारनाथ दूरवार स्कूल के पास
कोंच, जिला-जालौन, उ प्र ,पिन 285205
एवं
डी-75 सनफ्रान अशोक सिटी,
झाँसी
कानपुर ग्वालियर बाई पास