माँ की याद
तेरी यादों की छाओं में,
मै सोया भी करता था।
तेरे आंचल में अपने आंसू,
मै धोया भी करता था।
तेरी उन लोरियों को मां,
बहुत अब याद करता हूं।
बस उन्हीं को याद कर,
रात-दिन फरियाद करता हूं ।
तेरी उन रोटियों को बस अब,
ख्वाबों में ही खाता हूं।
कभी-कभी तेरी याद में मां,
मै भूखा ही सो जाता हूं ।
जब तक मै तेरे पास था,
तेरी गोद में सोता था।
अपने हर आसुओं को मां,
तेरे से ही रोता था।
तब मेरा दर्द सुनकर मां,
तू नाखुश हो जाती थी।
और मेरे रोने पर तू,
बहुत भावुक हो जाती थी।
जीवन में कुछ करने का मां,
मै सपना बनाया हूं।
आज इसलिये तुझे छोड़ कर ,
मैं तुझसे दूर आया हूं।
तेरे बिन दूर मां अब मै,
यहां रह नहीं सकता।
तेरे से दूर रहने का दर्द,
ज़रा भी सह नहीं सकता।
कसम तेरी है मेरी मां,
मै वो सपने करूगा पूरा।
किया वायदा था जो तुझसे,
रह गया था जो अधूरा।
-© प्रियांशु कुशवाहा,
सतना,(म.प्र.)
मो. 9981153574