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7 Aug 2022 · 1 min read

महब्बत का यारो, यही है फ़साना

कभी रूठ जाना, कभी मान जाना
महब्बत का यारो, यही है फ़साना

हक़ीक़त न समझा, महब्बत की कोई
जला इश्क़ वालों से हरदम ज़माना

ख़ुशी में भी ऐसी, नहीं यार बरकत
ग़मों से उभरता है दिल का तराना

जिसे प्यार भरपूर बख़्शा ख़ुदा ने
खुला है उसी पर, ख़ुशी का ख़ज़ाना

जिसे दर्द उल्फ़त में गहरा मिला हो
‘महावीर’ शाइर, वो सबसे सियाना

***

1 Like · 2 Comments · 184 Views

Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali

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