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30 Dec 2022 · 1 min read

महक कहां बचती है

महक कहां बचती है सूखते गुलाबों में।
नींद कहां रुकती है टूटते ख्वाबों में।

मोहब्बत की बातें तुम न‌ हमसे करो
कौन दिल को फंसाए झूठे अजाबों‌ में।

दौलत के साथ‌ साथ,आदाब भी गंवा दिये
शराफत नहीं दिखती,झूठे नवाबों में।

कितनी पी हमने ,कितनी बाकी बची
दिल उलझा है ,फालतू से हिसाबों में।

बात करने की बात करते हो तुम क्यों
जिंदगी डूब गयी ,न जाने कब शराबों में।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
Tag: कविता
1 Like · 34 Views
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