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23 Jun 2024 · 1 min read

मर्ज

मर्ज

आजादी से पहले, आजादी से आज तक,
बदलते रहे ईलाज, पर मर्ज वही आज तक।
ये मुल्क है जनाब, थे एक नहीं कल भी ,
हाँ अब भी बिखरे हुए, कि दर्द वही आजतक।
टुकड़े हुए थे देश के,जिस शक ओ शुबहा पर,
जमा हुआ है रूह में , वो गर्द अभी आज तक।
बात यूँ है अमन की , मिट गया जो भी चला ,
रह गया है बाकी वो, कर्ज अभी आज तक।

अजय अमिताभ सुमन

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