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22 Jul 2022 · 1 min read

मय है मीना है साकी नहीं है।

गज़ल

212….212…..212…..2
मय है मीना है साकी नहीं है।
इसलिए आज पी ही नहीं है।

तू न आई ये महफ़िल है सूनी,
आज की शाम भी जी नहीं है।

पी के जीते हैं मरते पिये बिन,
और उम्मीद बाकी नहीं है।

वो तो कबसे हमारे हैं दुश्मन,
दोस्ती इतनी काफी नहीं है।

बेटियों पर जो डाले नज़र भी,
उसके हक में भी माफी नहीं है।

तू गई जिंदगी से तो मेरी,
याद पर तेरी जाती नहीं है।

तेरे बिन जी रहे तेरे प्रेमी,
दीप में जैसे बाती नहीं है।

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
217 Views
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