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17 Feb 2022 · 1 min read

मन की प्रार्थना भगवान सुनतें हैं

आज मनीष से बहुत दिनों बाद मुलाकात हुआ मैं मनीष को पहचान नही पा रहा था। मनीष ने दूर से मुझे प्रणाम किया। अरे मनीष तुम इतने बड़े हो गए क्या करते हो आजकल मैनें उनसे पूछा, मनीष मुझे देख मुस्कराया और बोला चाचा जी मैं सिविल इंजीनियर हूँ, मैनें हाथ फेरते हुए उसे उसकी बचपन की यादें उसके सम्मुख रखा। मनीष तुम बचपन में मिट्टी के घर बनाते थे उस घर में कई गुड्डे-गुड़ियों को बसाते थे। उसी समय मैनें भगवान से प्रार्थना किया कि हे भगवान इस मनीष को सिविल इंजीनियर ही बनाना ताकि यह अपने नक्शे के द्वारा बड़ी महल बनाकर सभी जरूरतमंदों को बसा सके। मेरे इस बात को सुनकर मनीष भाव – विभोर हो गया, उसके आँखों में खुशी के आँसू छलक गए वह खुश होकर चल पड़ा।

कितना अच्छा लगता है किसी के लिए प्रार्थना करना, कामना करना, प्रार्थना का पूर्ण होना।

राकेश कुमार राठौर
चाम्पा (छत्तीसगढ़)

Language: Hindi
Tag: लेख
323 Views
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