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17 Jul 2016 · 1 min read

मन उजला सा दर्पण हो।

काम क्रोध का ढेर नहीं हो मन उजला सा दर्पण हो।
उर में सत्य अहिंसा के सँग सेवा भाव समर्पण हो।
मिला यहीं पर सब कुछ तुझको यहीं रखा रह जायेगा।
मानवता के नाते सब कुछ मानवता को अर्पण हो।

प्रदीप कुमार “प्रदीप”

Language: Hindi
2 Comments · 369 Views
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