मनोकामना
मनोकामना
हरि दर्शन की प्यास जगी है निज मन मस्तिष्क में,
मूरत मनोहर प्रभु की बिठाऊं अपने मन मंदिर में।
अयोध्या मंदिर में जब विराजेंगे श्री राम लला,
दर्शन उनके पाकर दूर हो जाएंगी सबकी बला।
मन कहता कितना भाग्यशाली हूं यहां जन्म जो पाया,
इस पावन भूमि पर सदा से रही है ईश्वर की छाया।
मन कहता है हरि चरणों में समर्पित अपना जीवन करूं,
भगवत कृपा पाने खातिर नित्य निरंतर वंदन सुमिरन करूं।
अब तक जीवन बीता है पालन करने घर परिवार में,
मन की इच्छा है बाकी जीवन बीते प्रभु के दरबार में।
राम नाम का गुणगान करते अगर अंत हमारा आएगा,
हरि नाम सुमिरन के प्रताप से जीवन सफल हो जाएगा।
इसलिए जीवन का सार मैं आप सबसे करता हूं वर्णन,
जन्म मृत्यु के बंधन से मुक्ति पाने नित्य करो हरि दर्शन।।
✍️ मुकेश कुमार सोनकर, रायपुर छत्तीसगढ़