*मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)*

*मनुज पक्षी से सीखे (कुंडलिया)*
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भूले पक्षी घोंसला , नहीं एक भी बार
उड़ते दिन भर हों कहीं , हुई शाम निज द्वार
हुई शाम निज द्वार , मनुज पक्षी से सीखे
लिए हाथ में हाथ , साँझ को घर पर दीखे
कहते रवि कविराय , मस्त सावन के झूले
फागुन की रसधार , प्यार पति – पत्नी भूले
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*रचयिता: रवि प्रकाश , बाजार सर्राफा*
*रामपुर (उत्तर प्रदेश)*
*मोबाइल 99 97 61 545 1*