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10 May 2022 · 1 min read

मत ज़हर हबा में घोल रे

वंदे आंखें खोल रे, मत ज़हर हबा में घोल रे
हबा है तेरी जीवन रेखा, क्यों न जाने मोल रे
काट रहा नित पेड़ पुराने, क्यों न पेड़ की महिमा जाने
काट रहा क्यों उस डाली को, जिसमें तेरी जान रे
कुदरत के संग रहना वंदे,खुदा का है पैगाम रे
जल जंगल जमीन हैं वंदे,कुदरत का ईनाम रे
सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 304 Views

Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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