मज़दूर की महत्ता

मायूसी और उदासी
देखी मासूम चेहरे पर
था कितना कष्ट
थी कितनी वेदना
थी कितनी विडंबना
थी शायद लाचारी
पर…फिर भी था मन मजबूत
हौसला था बुलंद
कुछ पाने की तमन्ना
पसीने की हर बून्द में
थी महेनत की महक…!
भले हो मुश्किल खड़ी पर है खुमारी
जो…है पहचान उनकी…!
वो बेबस नहीं हैं…वो हैं बलवान
तभी तो करते है….
बड़े बड़े नामुमकिन वाले काम….!!!!