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7 Aug 2016 · 1 min read

मजदूर

दुनिया में जो शख्स सबसे ज्यादा मजबूर है,
ऐ दोस्त! वो शख्स और कोई नहीं मजदूर है।

मजदूर की बदौलत खड़ी है फैक्ट्री दुनिया में,
पर देखो फैक्ट्री वाला बना कितना मगरूर है।

खून की बूँद निचोड़ लेता है चंद पैसों के बदले,
सच में फैक्ट्री वाला कसाई जितना ही क्रूर है।

मजदूर रोज कुआँ खोदता है प्यास बुझाने को,
अपनी मेहनत के लिए दुनिया में वो मशहूर है।

मजदूर ना हो तो विकास की गति थम जायेगी,
क्या जवान क्या बूढ़ा वो मेहनतकश जरूर है।

जब जलेगा चूल्हा दोनों वक़्त मजदूर के घर,
वो सुहाना दिन लगता है अभी कोसों दूर है।

पता नहीं कब छँटेंगे दुःख के बादल सिर से,
खाली पेट मेहनत का चढ़ा हुआ इसे सुरूर है।

शब्दों में बयाँ हो नहीं सकता दर्द उसका कभी,
पर कोशिश की सुलक्षणा ने, इसका उसे ग़रूर है।

©® डॉ सुलक्षणा अहलाव

2 Comments · 287 Views
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