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27 May 2023 · 1 min read

मजदूर हैं हम मजबूर नहीं

मजदूर हैं हम मजबूर नहीं,
इति सी भी गुरूर नहीं।
रोटी हक का हम खाते हैं,
बेईमानी मंजूर नहीं ।
मजदूर हैं हम . . . . . .
दुनिया की हर चीज,
मजदूरों ने बनाई है।
तब जाके लोगों ने,
सुख सुविधा पाई है।
हम भले असुविधा में जीते हैं,
मलाल हमें हुजूर नहीं।
मजदूर हैं हम . . . . . .
जी जान लगा देते हैं हम,
दुनिया के नव निर्माण में।
खुन पसीना में रहते हैं लतपथ,
पर कमी नहीं है काम में।
लक्ष्य समय पर पूरा करते हैं,
अब मंजिल दूर नहीं।
मजदूर हैं हम . . . . . .
दुनिया के सपनों को,
मजदूर आकार देता है।
चाहे जैसा भी ड्रांइग हो,
रंगों से प्रकार देता है।
सुकुन नहीं मिलता है जब तक होते
थक कर चूर नहीं
मजदूर हैं हम . . . . . .

Language: Hindi
2 Likes · 291 Views
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