मिलेगी मंजिल
राह कठिन है मंजिल की
और कठिन हो जायेगी
जो तू अभी रुक गया तो
मंजिल न मिल पाएगी।।
कभी रुकना नहीं है तुझे
कभी झुकना नहीं है तुझे
मुसीबत में भी हो अगर कभी
फिर भी रुकना नहीं है तुझे।।
चढ़ना उतरना दस्तूर है, पीछे
हटने में भी न कोई कसूर है
लेकिन कदम कभी रुकें नहीं
यही हमारी जीत का मूल है।।
चलना ही होगा हमको
बढ़ना ही होगा हमको
मिलकर कोशिश करके मंजिल
को, पाना ही होगा हमको।।
हो उदास गर मन तेरा
लगा ले एक जग फेरा
जान जायेगा तू फिर, मंजिल
पर ही है अब पड़ाव तेरा।।
तू भी ये कर सकता है, थोड़ी
मेहनत से मंजिल पा सकता है
जो ठान ले एक बार मन में, तू
कोई भी मंजिल पा सकता है।।