मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने

मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने
उन सपनों को हकीकत से रूबरू कराएंगे ।
एक बार कश्ती को तुम पानी में उतरने तो दो
सागर का गुरूर खत्म करके पार कर जाएंगे।
✍️कवि दीपक सरल
मंजर जो भी देखा था कभी सपनों में हमने
उन सपनों को हकीकत से रूबरू कराएंगे ।
एक बार कश्ती को तुम पानी में उतरने तो दो
सागर का गुरूर खत्म करके पार कर जाएंगे।
✍️कवि दीपक सरल