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11 Apr 2020 · 1 min read

भोर सुनहरी

कहां गई वो भोर सुनहरी
छुपी कहां सजीली शाम
शहर शहर पसरा सन्नाटा
बंद हुए हैं सारे काम
सूंने मंदिर सूंनी मस्जिद
सूंने गिरिजा गुरुद्वारे
सूंनी गलियां राजपथ सूंने
है बाजारों में अंधियारे
ठहर गया है पहिया जग का
चौपट सब के धंधे हैं
सहम गया मानव का जीवन
दहशत में सब बंदे हैं
कब होगी वो भोर सुहानी
कब होगी रंगीन वो शाम
गाड़ी कब तक दौड़ेगी
कब तक खुल पाएगा जाम
है कुदरत का कहर
या कर्मों का अभिशाप महान
सोच रहा हूं किस पर डालूं
संगीन जुर्म का ये इल्जाम

Language: Hindi
Tag: कविता
9 Likes · 2 Comments · 382 Views

Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी

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