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20 Aug 2022 · 1 min read

★भोगेषु प्रियतायां सति एतस्य कारणं रस:★

भोगेषु प्रियतायां सति एतस्य कारणं रस:।परमात्मनः सत्यं अनुभूत्या: सम्मुखं एषः मिथ्या रसः निवृत्त: भवति।साधनेषु अपि एका रसबुद्धि: भवति।येन समाध्यां विघ्नं भवति।रसास्वादेन साधक: भ्रमति।भवतः स्वयंमेव स्थिर: भवति।तु मन-बुद्धि: इंद्रियाणि च अपि स्थिर: भविष्यति।स्वस्य स्थिर: भवति तु रसबुद्धि: निवृत्ति: भवति।भवतः सर्वा: त्यक्त्वा सत्संगेषु आगच्छति तु एषः परमार्थिक: निदर्शनं।

©®अभिषेक:पाराशर:

Language: Sanskrit
80 Views
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