Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 May 2024 · 1 min read

*** भूख इक टूकड़े की ,कुत्ते की इच्छा***

एक रोटी के टूकड़े को देखकर
आँख लालाइत हो गयी उसकी
वो दौड़ा उठाने को अपनी भूख की खातिर
तब तक वो कुत्ता ले गया उठा उसको
अपने पेट की आग को बुझाने के लिए
वो देखता रहा शायद कोई डाल दे
टूकड़ा इक रोटी का मेरे भी लिए
तब तक फटकार लगा दी पहरेदार ने
तू भाग यहाँ खड़ा किस लिए
वो तरसती अखिआन ढूंढ रही थी
उस की पेट की आग बुझाने के लिए
घूम रहा था डगर डगर
पग थक गए थे मगर
पर जीना था बस खाने के लिए
अपना नन्हा सा घर चलाने के लिए
कहीं से एक फ़रिश्ता चला आया
शायद भेजा था खुदा ने उसी के लिए
ले चला साथ उसको उसकी इच्छा के लिए
उस रोटी के चन्द टूकड़ों के लिए
उसने देखा वो देखता ही रह गया
इक टूकड़े की खातिर वो इतना खो गया
पल भर के लिए वो कहीं खो गया
उस फ़रिश्ते की गोद में सर रख कर वो
सदा के लिए “”बस”” सो ही गया !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 102 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all

You may also like these posts

परिपक्वता
परिपक्वता
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
बाल बलिदानी
बाल बलिदानी
Sudhir srivastava
"आत्म-मुग्ध" व "आत्म-केंद्रित" लोगों की मानवोचित व संवेदनात्
*प्रणय*
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
आत्मीयकरण-1 +रमेशराज
कवि रमेशराज
नवरात्रि पर माता को भोग
नवरात्रि पर माता को भोग
Rajesh Kumar Kaurav
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Meera Singh
क्रोध...
क्रोध...
ओंकार मिश्र
आदर्श शिक्षक
आदर्श शिक्षक
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
2495.पूर्णिका
2495.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
* भीम लक्ष्य **
* भीम लक्ष्य **
भूरचन्द जयपाल
कितनी ही गहरी वेदना क्यूं न हो
कितनी ही गहरी वेदना क्यूं न हो
Pramila sultan
#वी वाँट हिंदी
#वी वाँट हिंदी
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
*ग़ज़ल*
*ग़ज़ल*
आर.एस. 'प्रीतम'
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
हम जिसे प्यार करते हैं उसे शाप नहीं दे सकते
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिंदगी का फ़लसफ़ा
जिंदगी का फ़लसफ़ा
मनोज कर्ण
अतिथि की तरह जीवन में
अतिथि की तरह जीवन में
Vishnu Prasad 'panchotiya'
घर के माँ को घर से भगाकर बेटा परिवार के साथ मातारानी का दर्श
घर के माँ को घर से भगाकर बेटा परिवार के साथ मातारानी का दर्श
Ranjeet kumar patre
ज़िन्दगी तुझ पर लिखे हैं गीत हमने
ज़िन्दगी तुझ पर लिखे हैं गीत हमने
Dr Archana Gupta
हर इश्क में रूह रोता है
हर इश्क में रूह रोता है
Pratibha Pandey
"कलयुग का साम्राज्य"
Dr. Kishan tandon kranti
देश का भविष्य
देश का भविष्य
Shweta Soni
एक उदास चेहरा जितनी नकारात्मकता फैलाता है...
एक उदास चेहरा जितनी नकारात्मकता फैलाता है...
Ajit Kumar "Karn"
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
इंसान चाहता है सब कुछ अपने वक्त पर,पर जिंदगी का हर मोड़ है व
पूर्वार्थ
फिज़ा बदल गई
फिज़ा बदल गई
Ram Krishan Rastogi
हर मन को पावन कर जाओ
हर मन को पावन कर जाओ
डा गजैसिह कर्दम
नारी का बदला स्वरूप
नारी का बदला स्वरूप
विजय कुमार अग्रवाल
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
वतन से हम सभी इस वास्ते जीना व मरना है।
सत्य कुमार प्रेमी
निर्भया
निर्भया
विशाल शुक्ल
निहार रही हूँ उस पथ को
निहार रही हूँ उस पथ को
शशि कांत श्रीवास्तव
कौन मनाएगा तुमको
कौन मनाएगा तुमको
Shekhar Chandra Mitra
Loading...