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16 Sep 2016 · 1 min read

भले धन हो’ कितना कमाया यहाँ पर

भले धन हो’ कितना कमाया यहाँ पर
न सन्तोष फिर भी है’ पाया यहाँ पर

वही झेलता दुख हमेशा जगत में
कि जिसने न गम को भुलाया यहाँ पर

भले जीत ले कोई सारा ज़माना
मुकद्दर को किसने हराया यहाँ पर

रहे दूसरों को सदा आजमाते
न खुद को कभी आजमाया यहाँ पर

गिला भी बताओ करें क्या किसी से
किया जब सगों ने पराया यहाँ पर

जिये सिर्फ अपनी ख़ुशी के लिये ही
नहीँ फ़र्ज़ कोई निभाया यहाँ पर

मिली लाख खुशियाँ अगर जिन्दगी से
तो उसने ही अक्सर रुलाया यहाँ पर

नही चैन से ‘अर्चना ‘मर सकोगे
अगर व्यर्थ जीवन गँवाया यहाँ पर
डॉ अर्चना गुप्ता

1 Like · 2 Comments · 249 Views
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