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6 Nov 2022 · 1 min read

*भरा है नेह से जो भी, उसी की शुद्ध काया है (मुक्तक)*

*भरा है नेह से जो भी, उसी की शुद्ध काया है (मुक्तक)*
_________________________________
नहीं कोई हुआ अपना, नहीं कोई पराया है
जगत में शत्रु एवं मित्र, सब ने खुद बनाया है
रखो सबसे मधुर व्यवहार, सबको आत्मवत जानो
भरा है नेह से जो भी, उसी की शुद्ध काया है
——————————————–
*रचयिता : रवि प्रकाश*
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

Language: Hindi
64 Views
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