Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
20 Nov 2022 · 2 min read

भय

भय एक काल्पनिक रचना है ,जो वास्तविकता एवं आंतरिक तथ्यों से परे है।
डर का उद्भव काल्पनिक पूर्वानुमानों के धरातल पर पूर्व निर्मित धारणाओं द्वारा होता है, जिसमे तर्कशील वास्तविकता एवं अंतर्निहित विश्लेषणात्मक तथ्यों की कोई भूमिका नहीं होती है।
समूह मानसिकता जिसमें व्यक्तिगत विश्लेषण की कमी होती है और जो समूह द्वारा पूर्वकल्पित अंधविश्वासों एवं धारणाओं पर आधारित होती है,
जनसाधारण में आतंक एवं भय का वातावरण निर्माण करने में प्रमुख भूमिका निभाती है।
समूह द्वारा भय का वातावरण निर्माण करने में कुछ व्यक्तिपरक एवं समूहपरक स्वार्थी एवं कुत्सित मंतव्य छिपे में होते हैं। जिनका उद्देश्य जनसाधारण में भय का वातावरण पैदा कर अपने कुत्सित मंतव्यों की प्राप्ति के लिए उनकी भावनाओं का उपयोग करना मात्र है।
अपराधियों का प्रथम अस्त्र लोगों में भय का वातावरण पैदा कर अपना स्वार्थ सिद्ध करना है , जबकि अपराधियों का मनोबल सशक्त नहीं होता है। वे उनका डटकर सामना करने वाले साहसी और निर्भीक व्यक्तियों से भयभीत रहते हैं।
फिल्म एवं टीवी में अपराधियों एवं आतंकवादियों को निर्भीक महिमामंडित कर एवं आम जनता को भयभीत कायर दर्शाया जाता है। जो कि एक गलत धारणा का प्रचार एवं प्रसार है।
यह आम जनता में सनसनी पैदा कर अपनी टीआरपी लोकप्रियता प्राप्त करने का घटिया तरीका है।
राजनीति में भी जनता में असंतोष एवं भय पैदा कर अपना वोट बैंक मजबूत करने की कोशिश की जाती है ,जो कि सर्वथा गलत परंपरा है।
अंततः हम कह सकते हैं कि भय एक व्यक्तिगत समूह प्रेरित धारणा है , जिसका कोई वास्तविक ठोस आधार एवं प्रमाण नही होता है , एवं इसकी मान्यता एवं स्वीकार्य तीव्रता प्रत्येक व्यक्ति में भिन्न भिन्न होती है।

2 Likes · 2 Comments · 65 Views

Books from Shyam Sundar Subramanian

You may also like:
मूल्य
मूल्य
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
"लहलहाते खलिहान"
Dr Meenu Poonia
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है।
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है।
Manisha Manjari
जीवन की सोच/JIVAN Ki SOCH
जीवन की सोच/JIVAN Ki SOCH
Shivraj Anand
ईनाम
ईनाम
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
जिन्दगी कागज़ की कश्ती।
जिन्दगी कागज़ की कश्ती।
Taj Mohammad
🙏🏻 अभी मैं बच्चा हूं🙏🏻
🙏🏻 अभी मैं बच्चा हूं🙏🏻
Vijay kannauje
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
*संकल्प  (कहानी)*
*संकल्प (कहानी)*
Ravi Prakash
कैलेंडर
कैलेंडर
Shiva Awasthi
महर्षि बाल्मीकि
महर्षि बाल्मीकि
Ashutosh Singh
लश्क़र देखो
लश्क़र देखो
Dr. Sunita Singh
हिचकियां
हिचकियां
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
दास्तां-ए-दर्द
दास्तां-ए-दर्द
Seema 'Tu hai na'
#हाइकू ( #लोकमैथिली )
#हाइकू ( #लोकमैथिली )
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
आज तो ठान लिया है
आज तो ठान लिया है
shabina. Naaz
निज स्वार्थ ही शत्रु है, निज स्वार्थ ही मित्र।
निज स्वार्थ ही शत्रु है, निज स्वार्थ ही मित्र।
श्याम सरीखे
कुल के दीपक
कुल के दीपक
Utkarsh Dubey “Kokil”
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*Author प्रणय प्रभात*
फरेबी दुनिया की मतलब प्रस्दगी
फरेबी दुनिया की मतलब प्रस्दगी
Umender kumar
"इसलिए जंग जरूरी है"
Dr. Kishan tandon kranti
कल्पना ही कविता का सृजन है...
कल्पना ही कविता का सृजन है...
'अशांत' शेखर
खत्म हुआ जो तमाशा
खत्म हुआ जो तमाशा
Dr fauzia Naseem shad
बंधन दो इनकार नहीं है
बंधन दो इनकार नहीं है
Dr. Girish Chandra Agarwal
💐Prodigy Love-42💐
💐Prodigy Love-42💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
ऐसा है संविधान हमारा
ऐसा है संविधान हमारा
gurudeenverma198
डरा हुआ विपक्ष
डरा हुआ विपक्ष
Shekhar Chandra Mitra
सुनो स्त्री
सुनो स्त्री
Rashmi Sanjay
★ जो मज़ा तेरी कातिल नजरों के नजारों में है। ★
★ जो मज़ा तेरी कातिल नजरों के नजारों में है।...
★ IPS KAMAL THAKUR ★
खुद को मूर्ख बनाते हैं हम
खुद को मूर्ख बनाते हैं हम
Surinder blackpen
Loading...