Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
17 Mar 2023 · 1 min read

*मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना (गीत)*

मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना (गीत)
➖➖➖➖➖➖➖➖
मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना
1
हम दिल से तुम्हें बुलाते, ढोलक की थाप बजा कर
हम माता तुम्हें रिझाते, फूलों से भवन सजा कर
गाऍं जो टूटा-फूटा, करना पसंद वह गाना
2
मॉं शब्दों को बिसराकर, भूलों पर ध्यान न देना
मन-तरंग को पढ़कर, भावों को ही बस ले लेना
मधुर महक से जब आओ, मॉं जग-भर को महकाना
3
थिरकन बनकर तन ओढ़ो, कुछ मृदुतम भाव जगाओ
तुतलाती बोली में धर कर, रूप बालिका आओ
अहोभाग्य है तुम्हें पालना, भोजन नित्य खिलाना
मॉं भजनों को सुन-सुन कर, दौड़ी-दौड़ी आ जाना
➖➖➖➖➖➖➖➖
रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

216 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
*पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें (हिंदी गजल/ गीतिका
*पारखी नजरों में जब, आतीं पुरानी पुस्तकें (हिंदी गजल/ गीतिका
Ravi Prakash
💐प्रेम कौतुक-472💐
💐प्रेम कौतुक-472💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
बस जाओ मेरे मन में
बस जाओ मेरे मन में
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कविताश्री
कविताश्री
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
Open mic Gorakhpur
Open mic Gorakhpur
Sandeep Albela
"काँच"
Dr. Kishan tandon kranti
■अंदेशा■
■अंदेशा■
*Author प्रणय प्रभात*
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
मैं दोस्तों से हाथ मिलाने में रह गया कैसे ।
Neelam Sharma
"चुलबुला रोमित"
Dr Meenu Poonia
बेड़ियाँ
बेड़ियाँ
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम !
क्योंकि, हिंदुस्तान हैं हम !
Palak Shreya
मुक्तक
मुक्तक
पंकज कुमार कर्ण
पेड़ों से बतियाता हूँ
पेड़ों से बतियाता हूँ
Satish Srijan
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
कोई फैसला खुद के लिए, खुद से तो करना होगा,
Anand Kumar
जो वक़्त के सवाल पर
जो वक़्त के सवाल पर
Dr fauzia Naseem shad
आज की प्रस्तुति - भाग #2
आज की प्रस्तुति - भाग #2
Rajeev Dutta
हल्ला बोल
हल्ला बोल
Shekhar Chandra Mitra
सीखने की, ललक है, अगर आपमें,
सीखने की, ललक है, अगर आपमें,
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
एक दिन यह समय भी बदलेगा
एक दिन यह समय भी बदलेगा
कवि दीपक बवेजा
भेड़ों के बाड़े में भेड़िये
भेड़ों के बाड़े में भेड़िये
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मेरी पंचवटी
मेरी पंचवटी
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
हाय रे ये क्या हुआ
हाय रे ये क्या हुआ
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
गमों ने जिन्दगी को जीना सिखा दिया है।
Taj Mohammad
सैनिक
सैनिक
AMRESH KUMAR VERMA
किसी की प्रशंसा एक हद में ही करो ताकि प्रशंसा एवं 'खुजाने' म
किसी की प्रशंसा एक हद में ही करो ताकि प्रशंसा एवं 'खुजाने' म
Dr MusafiR BaithA
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ
हाँ, अब मैं ऐसा ही हूँ
gurudeenverma198
रावण, परशुराम और सीता स्वयंवर
रावण, परशुराम और सीता स्वयंवर
AJAY AMITABH SUMAN
मूक प्रेम
मूक प्रेम
Rashmi Sanjay
बिसुणी (घर)
बिसुणी (घर)
Radhakishan R. Mundhra
✍️
✍️"एक वोट एक मूल्य"✍️
'अशांत' शेखर
Loading...