Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
21 Sep 2016 · 1 min read

बड़ी श्रद्धा से पुरखों को हम अपने याद करते हैं

बड़ी श्रद्धा से पुरखों को हम अपने याद करते हैं
न हमसे रुष्ट हो जाना यही फ़रियाद करते हैं
नहीं सेवा बुजुर्गों की जो जीते जी कभी करते
बड़े सम्मान से पर श्राद्ध उनके बाद करते हैं
डॉ अर्चना गुप्ता

Language: Hindi
227 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to get all the exciting updates about our writing competitions, latest published books, author interviews and much more, directly on your phone.
Books from Dr Archana Gupta
View all
You may also like:
रावण पुतला दहन और वह शिशु
रावण पुतला दहन और वह शिशु
राकेश कुमार राठौर
अष्टम कन्या पूजन करें,
अष्टम कन्या पूजन करें,
Neelam Sharma
पर खोल…
पर खोल…
Rekha Drolia
खुशी ( Happiness)
खुशी ( Happiness)
Ashu Sharma
कुछ तो ऐसे हैं कामगार,
कुछ तो ऐसे हैं कामगार,
Satish Srijan
तुझसे बिछड़ने के बाद
तुझसे बिछड़ने के बाद
Surinder blackpen
जीवन हमारा रैन बसेरा
जीवन हमारा रैन बसेरा
मनमोहन लाल गुप्ता 'अंजुम'
✍️महानता✍️
✍️महानता✍️
'अशांत' शेखर
■ अवध की शाम
■ अवध की शाम
*Author प्रणय प्रभात*
चंद हाईकु
चंद हाईकु
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुझको रूलाया है।
मुझको रूलाया है।
Taj Mohammad
कलयुगी धृतराष्ट्र
कलयुगी धृतराष्ट्र
Dr Parveen Thakur
भारत माँ से प्यार
भारत माँ से प्यार
Swami Ganganiya
दो पल की खुशी और दो पल का ही गम,
दो पल की खुशी और दो पल का ही गम,
Soniya Goswami
सोच एक थी, दिल एक था, जान एक थी,
सोच एक थी, दिल एक था, जान एक थी,
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
उस सावन के इंतजार में कितने पतझड़ बीत गए
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
सुकरात के मुरीद
सुकरात के मुरीद
Shekhar Chandra Mitra
जोगीरा
जोगीरा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
यही इश्क़ तो नहीं
यही इश्क़ तो नहीं
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
*कागभुशुंडी जी थे ज्ञानी (चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
वसुधैव कुटुंबकम है, योग दिवस की थीम
वसुधैव कुटुंबकम है, योग दिवस की थीम
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
सुहाग रात
सुहाग रात
Ram Krishan Rastogi
तितलियाँ
तितलियाँ
RAJA KUMAR 'CHOURASIA'
विषम परिस्थितियों से डरना नहीं,
विषम परिस्थितियों से डरना नहीं,
Trishika S Dhara
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
आज तुझे देख के मेरा बहम टूट गया
Kumar lalit
मर्दुम-बेज़ारी
मर्दुम-बेज़ारी
Shyam Sundar Subramanian
गीत
गीत
सूर्यकांत द्विवेदी
लेख : प्रेमचंद का यथार्थ मेरी दृष्टि में
लेख : प्रेमचंद का यथार्थ मेरी दृष्टि में
Sushila Joshi
2686.*पूर्णिका*
2686.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
Loading...