Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
8 May 2022 · 7 min read

ब्रेक अप

वर्तमान भौतिकता वादी समाज में सात फेरे लेने का अर्थ आज भी सात जन्मों का बंधन है। यह कहीं से कॉन्ट्रैक्ट दृष्टिगत नहीं होता है। पति- पत्नी के बीच विश्वास का अटूट बंधन आपसी संबंधों को प्रगाढ़ता प्रदान करता है। किन्तु जब विश्वास और अविश्वास के मध्य पति- पत्नी के रिश्ते झूलने लगते हैं, तो, जीवन की नैया अधर में डगमगाने लगती है। हिचकोले खाती नैया कब यात्रा से विराम ले ले, पता नहीं चलता।

एकाकी जीवन जीना आसान नहीं होता ।वे सामाजिक दृष्टि कोण से और मान सम्मान की दृष्टि से भी हंसी के पात्र बन जाते हैं ।

वर्तमान काल में, युवक -युवतियांँ पाश्चात्य जगत के विचारों से अत्यधिक प्रभावित हैं। पाश्चात्य फैशन को अपनाकर वे अपने आप को आधुनिक समझते हैं। इसी क्रम में, वे माता-पिता के धन का अनाप-शनाप व्यय करते हैं ।उनके जीवन की सोच वास्तविकता से परे काल्पनिक जगत की होती है ।जो भारतवर्ष जैसे आध्यात्मिक देश में उन्हें दर-दर की ठोकरें खाने पर विवश कर देती है। माता पिता के संस्कार देर सवेर जागृत होते हैं।

काल्पनिक जगत में यथार्थ के थपेड़े दुखदाई होते हैं। जो थपेड़ों की मार सह कर संभल गया ,उसका विवाह बंधन ठीक रास्ते पर गति करता है। जो इन थपेड़ों से बिखर गया ,वह अनजान गलियों में एकाकी जीवन व्यतीत कर रहा होता है।

डॉक्टर अंबर एक आशावादी पूर्णतया शिक्षित अनुभवी व्यक्ति हैं। अपने जीवन काल में उन्होंने कई परिवारों के बनते- बिगड़ते रिश्तों को अपनी सूझबूझ से बिखरने से बचाया है।

उनकी एक शिष्या है ,जो उम्र व अनुभव में उनसे बहुत छोटी है ।उसका नाम डा. सौम्या है ।उसने निजी चिकित्सा महाविद्यालय से चिकित्सा शास्त्र की डिग्री ली है ।वह अत्यंत व्यवहार कुशल, मृदु स्वभाव की चुलबुल चिकित्सक है ।जिससे डा अंबर अत्यंत स्नेह करते हैं।

डा.अंबर और डा. सौम्या संजीवनी चिकित्सालय में परामर्शदाता है। जब डा.सौम्या क्लिनिक समाप्त करती,तो एक बार एक बार डा. अंबर से भेंट करना ना भूलती। डॉक्टर अंबर उसे चिकित्सा जगत के अपने अनुभव सुना कर उसका उत्साहवर्धन करते ।

डॉ सौम्या धनाढ्य परिवार की पुत्री हैं। उनके परिवार में उपहारों की कोई कमी नहीं है।वे अकूत धन के मालिक हैं ।उनकी समाज में मान -प्रतिष्ठा है। डॉक्टर सौम्या अपने खर्चीले स्वभाव के लिए जानी जाती हैं। अत्यंत आधुनिक पोशाक, आभूषण और रूप सज्जा उनके शौक हैं। वह रिक्त समय मे चित्रकारी करती हैं ।

उनकी माताजी सौम्या के खर्चीले स्वभाव में बाधक हैं। वे उसे रोकते हुए कहती हैं कि, बेटी इतनी महंगी पोशाक पहनने की योग्यता होनी चाहिए। जब तेरा विवाह संपन्न हो जाएगा तब अपना शौक पूरा करना ज्यादा अच्छा लगेगा ।माता पिता के पैसों पर शौक पूरा नहीं करते ।

बेचारी सौम्या कमाते हुए भी मन मसोसकर रह जाती ।सौम्या के माता- पिता ने उसकी बढ़ती उम्र का ध्यान करके एक चिकित्सक से उसका विवाह तय कर दिया ।

सौम्या को चिकित्सक बिरादरी से चिढ़ है।वह पुलिस अधिकारी से विवाह करने में रुचि रखती है। उन्होंने अपने माता-पिता से अपनी बात कही है ,किंतु उनके माता-पिता सौम्या को अनसुना कर देते हैं। बेचारी सौम्या खिसिया कर रह जाती है ,और ,अपनी खीज डा. अंबर से मशविरा कर दूर करती है। कभी- कभी उसकी आंखों में बेबसी के आंसू नजर आते हैं।

आधुनिक पाश्चात्य सभ्यता के आजाद गगन में बिचरण करने वाली सौम्या अपने माता -पिता के सामने बेबस नजर आती है।

कभी वह डॉक्टर अंबर से कहती है, मैं शादी नहीं करूंगी ।शादी करूंगी तो अपनी मर्जी से ,अन्यथा नहीं। मेरे अनेक पुरुष -महिला मित्र हैं ,जो महाविद्यालय में हमारे साथ उत्तीर्ण हुए हैं। वे मेरी मदद करेंगे। किंतु उसका हठ अपने माता पिता पर नहीं चलता । उसके माता -पिता उसकी हंसी उड़ाते हुये कहते, मेरी लाडो !अभी इतनी बड़ी नहीं हुई ,कि अपने आप अपनी जिंदगी का निर्णय कर सके। डॉक्टर सौम्या इस बेबसी पर आंसू बहाती तो माता के भी आंखों में आंसू छलक उठते।वे सिर पर हाथ फेरते हुए कहती, कितने लाड़ -प्यार से तुझे पाला है। मेरी बेटी अब पराए घर जा रही है। वह अपने घर बसाने जा रही है ।इन्हीं दिनों के लिए माता-पिता लड़कियों को पाल -पोस कर बड़ा करते हैं। बेटी विवाह संपन्न हो जाने दे सभी गिले-शिकवे धीरे-धीरे दूर हो जाएंगे। मेरी बेटी अपने घर में राज करेगी ।बेटी माता के सीने से लग कर फूट-फूट कर रोने लगती,तब घर का वातावरण करुणा से भर जाता। घर के सदस्य गंभीर हो जाते।काफी मान- मनोबल के बाद वह विवाह हेतु राजी होती है ।

माता- पिता ने उनके छोटे बड़े प्रत्येक शौक का ध्यान रखकर पोशाक और आभूषण पसंद करने हेतु डॉक्टर सौम्या को पूरी छूट दे दी है। आज डा.सौम्या ने डॉक्टर अंबर से चहकते हुए बताया कि उसने गुलाबी लहंगा पसंद किया है। वह उसकी तस्वीर भी लायी है। लहंगा अत्यंत सुंदर है और महंगा भी। डा.अंबर उसकी खुशियों में शामिल हो जाते, और उसका उत्साह बढ़ाते हैं। उन्हें फूल सी मासूम बच्ची को विकास के पथ पर अग्रसर होते देखने का अवसर मिला है।वह इस अवसर को भुनाना चाहते हैं। डॉक्टर सौम्या ने विवाह के अवसर पर डा. अंबर को विशेष रूप से आमंत्रित किया है। वह ,डॉ.अंबर के सुझावों से अत्यंत प्रभावित हैं। डॉ.अंबर उसका विशेष ध्यान रखते हैं ।उसे स्टाफ के कटु अनुभवों से हमेशा बचाते हैं ।वह अपने को डॉ.अंबर के संरक्षण में अत्यंत सुरक्षित पाती है ।

विवाह संपन्न होने के दूसरे दिन डा. सौम्या संजीवनी चिकित्सालय ज्वाइन कर लेती है।डा.अंबर आश्चर्यचकित हो जाते हैं ।अभी नव युवा दंपति ने एक दूसरे को भलीभांति देखा भी नहीं होगा ।डॉक्टर सौम्या हनीमून का अवसर छोड़कर ड्यूटी जॉइन कर लेती है ।डा.सौम्या ने बताया कि उसे उसके साथ रहने का शौक नहीं है। यदि उसे रहना है तो मेरे साथ रहे। डॉक्टर ने पूछा ?क्या दोनों में प्रथम रात्रि में झगड़ा हुआ है?

डा.सौम्या ने गुस्से में कहा ,वह अपने आप को समझता क्या है ?यदि वह चिकित्सक है तो मैं भी चिकित्सक हूँ।मैं उससे क्यों दबूँ। पति पत्नी का रिश्ता बराबर का होता है ।यदि मैंने अपना घर छोड़ा है, तो उसे भी त्याग करना होगा ।

डॉक्टर अंबर डा सौम्या के कच्चे अनुभव से वाकिफ थे। वह बात- बात पर तुनक जाती। अतः डॉक्टर अंबर ने सोचा कि समय के साथ अनुभव बढ़ने पर समाधान मिल जाएगा ,और उसे समझाया- बेटा समय के साथ सब ठीक हो जाएगा। अभी कोई जल्दी बाजी में निर्णय नहीं करना ।थोड़ा इंतजार करो और ठीक समय आने की प्रतीक्षा करो ।

डॉक्टर सौम्या ने गुस्से में कहा-माता-पिता ने मेरी मर्जी के विरुद्ध मेरा विवाह अनजान लड़के से कर दिया। मैंने सब सह लिया। आप लोगों ने भी कहा लड़का अच्छा है ,मैंने आप लोगों की बात मान ली। मेरा भी वजूद है। मेरी भी अपनी जीवनशैली है, मैं अपने हिसाब से रह सकती हूं। यदि वह मेरी बात नहीं मानता तो, ब्रेकअप कर लूंगी।

डॉक्टर अंबर भौचक्का रह गए ।अभी जुम्मे जुम्मे आठ दिन भी नहीं हुए थे कि बात ब्रेकअप तक आ पहुंची।

डॉक्टर अंबर ने सौम्या से कहा-अपने मंगेतर से मिलवा दो। तो वह बोली ,वह यहां नहीं आना चाहता।

डॉक्टर अंबर ने राय दी ,माता पिता ने सोच-समझकर विवाह किया होगा। अच्छा कुलीन घर का संस्कारी लड़का देखकर ही माता-पिता विवाह हेतु राजी हुए होंगे। आखिर क्यों, कोई माता-पिता अपनी फूल सी लाडली बच्ची को अनजान के हवाले कर देगा। तुम थोड़ा समझदारी से काम लो और अपने पति के पास वापस लौट जाओ ।बड़ी देर के बाद वह फिर वापस पति के पास जाने को राजी हुई।

कुछ दिन बीते होंगे ,डॉक्टर सौम्या मायूस चेहरा लेकर चिकित्सालय आई। डॉक्टर अंबर से रहा नहीं गया, उन्होंने पूछा- बेटा क्या बात है ?आज बहुत दुखी हो।
डॉक्टर सौम्या ने भरे गले से कहा -सर उसका एक लड़की से चक्कर चल रहा है। वह उसे बहुत चाहता है ।उसे भूलने को भी राजी नहीं है ।उसके पीछे मुझसे बात करना बंद कर दिया है ।फोन भी स्विच ऑफ कर दिया है। वह मेरे मैसेज का जवाब भी नहीं देता। क्या करूं ?बताइए !सर मेरी क्या गलती है। मैं इन दोनों के बीच कहां खड़ी हूँ।उसके परिवार वाले कह रहे थे, सब ठीक हो जाएगा। समय के साथ वह उसे भूल जाएगा ।क्या मेरी इच्छा उससे बात करने की नहीं होती? आखिर मैं कैसे समझौता करू? उसने मेरी जिंदगी बर्बाद कर दी।

डॉक्टर अंबर ने कहा- बेटा विवाह पूर्व जो उसके संबंध है, वह उसे भूल सकता है। पत्नी का उत्तर दायित्व है कि वह अपने पति को पल्लू से बांध कर रखें। तुम्हें उसे बांधकर रखना होगा ।उसकी आवारगी के लिए सब तुम्हें ही उत्तरदायी ठहरायेंगे।

समाज की यही रीति है, विवाह के उपरांत समाज की रीति-रिवाजों का ध्यान रखना होता है। यह पुरुष प्रधान समाज तुम्हें तभी प्रतिष्ठित करेगा जब तुम पति का सम्मान पाओगी।

डॉ सौम्या ने कहा -मुझे ही सब गलत ठहरा रहे हैं। घर में माता पिता मुझे गलत ठहराते हैं। इसलिए कि ,मैं लड़की हूँ। किंतु, मैं लड़की होकर अपने पैरों पर खड़ी हूँ। किसी की दया का मोहताज नहीं हूँ। मैं एकाकी जीवन यापन कर सकती हूँ

। डॉक्टर सौम्या का अहंकार बार-बार उसके रिश्ते सामान्य होने में आड़े आ रहा था। उधर डॉक्टर महेश सौम्या का मंगेतर झुकने को तैयार नहीं था। टकराव की स्थिति बनी हुई थी।डा .सौम्या ने इसका समाधानअपने स्तर से ढूंढ निकाला ।उसने एक दर्शनीय स्थल जाने की योजना बनाई। हनीमून का समय इतने टकराव के बाद आया ।दोनों खुशी-खुशी हनीमून पर रवाना हो गए।

प्रेम विवाह में लड़का -लड़की आपस में एक दूसरे को समझने लगते हैं। उन्हें एक दूसरे के स्वभाव का पता होता है। किंतु, दो अंजाने युवक- युवतियाँ जब आमने-सामने होते हैं ,तो, उनके स्वार्थ औरअहंकार टकराते हैं ।जो इन टकराव को तूल नहीं देते ,वे सम्भल जाते हैं। जो इस टकराव के लिए एक दूसरे को उत्तरदायी मानते हैं ,वे टूट जाते हैं।

डा सौम्या का वैवाहिक जीवन पटरी पर लौट रहा है ।उनका आपस में प्यार बढ़ रहा है। एक दूसरे के लिए त्याग की भावना पनप रही है ।एक दूसरे के प्रति विश्वास और समर्पण बढ़ रहा है। जिसने उन्हें ब्रेकअप से बचा लिया है।

डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम

Language: Hindi
1 Like · 2 Comments · 248 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Follow our official WhatsApp Channel to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
View all
You may also like:
फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं
फिर यहाँ क्यों कानून बाबर के हैं
Maroof aalam
आखों में नमी की कमी नहीं
आखों में नमी की कमी नहीं
goutam shaw
बेताब दिल
बेताब दिल
VINOD KUMAR CHAUHAN
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
अपनी बड़ाई जब स्वयं करनी पड़े
Paras Nath Jha
हर हाल में खुश रहने का सलीका तो सीखो ,  प्यार की बौछार से उज
हर हाल में खुश रहने का सलीका तो सीखो , प्यार की बौछार से उज
DrLakshman Jha Parimal
गुदड़ी के लाल
गुदड़ी के लाल
Shekhar Chandra Mitra
अपने किरदार को
अपने किरदार को
Dr fauzia Naseem shad
“हिचकी
“हिचकी " शब्द यादगार बनकर रह गए हैं ,
Manju sagar
दोस्ती में लोग एक दूसरे की जी जान से मदद करते हैं
दोस्ती में लोग एक दूसरे की जी जान से मदद करते हैं
ruby kumari
चंद किरणे चांद की चंचल कर गई
चंद किरणे चांद की चंचल कर गई
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
आम ही आम है !
आम ही आम है !
हरीश सुवासिया
💐अज्ञात के प्रति-101💐
💐अज्ञात के प्रति-101💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ साहित्यपीडिया से सवाल
■ साहित्यपीडिया से सवाल
*Author प्रणय प्रभात*
~
~"मैं श्रेष्ठ हूँ"~ यह आत्मविश्वास है... और
Radhakishan R. Mundhra
★रात की बात★
★रात की बात★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
कब गुज़रा वो लड़कपन,
कब गुज़रा वो लड़कपन,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*एक शेर*
*एक शेर*
Ravi Prakash
शहीदों के लिए (कविता)
शहीदों के लिए (कविता)
दुष्यन्त 'बाबा'
आईने की तरह मैं तो बेजान हूँ
आईने की तरह मैं तो बेजान हूँ
सन्तोष कुमार विश्वकर्मा 'सूर्य'
✍️सोया हुवा शेर✍️
✍️सोया हुवा शेर✍️
'अशांत' शेखर
दिवाली है
दिवाली है
शेख़ जाफ़र खान
२४३.
२४३. "आह! ये आहट"
MSW Sunil SainiCENA
🇮🇳 मेरी माटी मेरा देश 🇮🇳
🇮🇳 मेरी माटी मेरा देश 🇮🇳
Dr Manju Saini
बालगीत - सर्दी आई
बालगीत - सर्दी आई
Kanchan Khanna
अधूरी हसरत
अधूरी हसरत
umesh mehra
हृद्-कामना....
हृद्-कामना....
डॉ.सीमा अग्रवाल
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
एक ख्वाब सजाया था मैंने तुमको सोचकर
डॉ. दीपक मेवाती
अगनित उरग..
अगनित उरग..
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
Ajib shakhshiyat hoti hai khuch logo ki ,
Ajib shakhshiyat hoti hai khuch logo ki ,
Sakshi Tripathi
नौकरी (२)
नौकरी (२)
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
Loading...