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25 Sep 2022 · 1 min read

बोझ

सोचा तो हमने भी था कि सपनों का एक घर बनाएंगे
लेकिन क्या पता था कि तुम्हारे झूठ से सारे सपने ही बिखर जाएंगे
कितना अच्छा होता तुमसे मिलन ही ना होता
कम से कम तुमसे मिलने की एक आस तो रहती
आज लगा कि न पूरा होने वाले सपनों का बोझ,
टूटे हुए सपनों के बोझ से कहीं ज्यादा हल्का होता है।

Language: Hindi
30 Likes · 25 Comments · 554 Views
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