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5 Apr 2024 · 1 min read

बेपरवाह

बेपरवाह
वक्त की लगी ठोकर के दर्द से निकली आह है ।
एहसान फरामोशो में अपनों की कहां चाह है।।
अपना-अपना करते अपनों से ही छिटक गए ।
समय को नहीं समझे समय से ही बेपरवाह है ।।
– ओमप्रकाश भार्गव ,

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