Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
लक्ष्मी सिंह
159 Followers
Follow
Report Content
24 Aug 2019 · 1 min read
बेटी और प्रकृति
स्त्री और प्रकृति की करो सुरक्षा,
तभी होगा विश्व कल्याण की रक्षा।
—लक्ष्मी सिंह
Language:
Hindi
Tag:
Quote Writer
,
कोटेशन
Like
Share
1 Like
·
1 Comment
· 351 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
दर्पणिका
Lakshmi Singh
भव्य भू भारती
Lakshmi Singh
दोहाद्युथी
Lakshmi Singh
You may also like:
कुछ चूहे थे मस्त बडे
Vindhya Prakash Mishra
* संवेदनाएं *
surenderpal vaidya
😊आज श्रम दिवस पर😊
*प्रणय प्रभात*
मैं कहां हूं तुम कहां हो सब कहां हैं।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
तेरा ग़म
Dipak Kumar "Girja"
किताबें
Dr. Pradeep Kumar Sharma
कदम छोटे हो या बड़े रुकना नहीं चाहिए क्योंकि मंजिल पाने के ल
Swati
मचलते है जब दिल फ़िज़ा भी रंगीन लगती है,
डी. के. निवातिया
Learn the things with dedication, so that you can adjust wel
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
"A Dance of Desires"
Manisha Manjari
शिक्षक
Mukesh Kumar Sonkar
** सीने पर गहरे घाव हैँ **
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विश्वास
शालिनी राय 'डिम्पल'✍️
नारी- शक्ति आह्वान
Shyam Sundar Subramanian
शब्द
ओंकार मिश्र
23/135.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
इंसानियत
साहित्य गौरव
हमको रखना या सबका दिल यूँ भी ,
Dr fauzia Naseem shad
*रामपुर रियासत के अंतिम राज-ज्योतिषी एवं मुख्य पुरोहित पंडित
Ravi Prakash
पिता का यूं चले जाना,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
खेत का सांड
आनन्द मिश्र
बुंदेली दोहे- गुचू-सी (छोटी सी)
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
कविता
Dr.Priya Soni Khare
देकर घाव मरहम लगाना जरूरी है क्या
Gouri tiwari
*नमस्तुभ्यं! नमस्तुभ्यं! रिपुदमन नमस्तुभ्यं!*
Poonam Matia
जो शख़्स तुम्हारे गिरने/झुकने का इंतजार करे, By God उसके लिए
अंकित आजाद गुप्ता
कविता: सपना
Rajesh Kumar Arjun
"असफलता"
Dr. Kishan tandon kranti
कुछ खास रिश्ते खास समय में परखे जाते है
Ranjeet kumar patre
*ख़ुद मझधार में होकर भी...*
Rituraj shivem verma
Loading...