Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2024 · 4 min read

बेटियां।

सृष्टि की अखंडता की कड़ी है बेटियां।
मां की वात्सल्य,ममता, स्नेह देती है बेटियां।
दो – दो पीढ़ियों को जीवंत करती है बेटियां।
थककर सो जाते है मां की गोंद में।
रखती परिवार का ख्याल आमोद प्रमोद में।
दुनिया के हर क्षेत्र में काबिज है बेटियां।
खेल हो, विज्ञान हो, या नवनिर्माण कार्य हो।
संगीत हो, इतिहास हो या राजनीति प्रमाण हो।
साहित्य, कला, सौंदर्य, या सिनेमा का प्रांगण हो।
पीवी सिंधु, मैडम क्यूरी, महादेवी वर्मा, रानी लक्ष्मीबाई।
गार्गी, अपाला, लोपामुद्रा, मीराबाई।
मदर टेरेसा, लता मंगेशकर, सावित्री, अहिल्याबाई।
नवसृजन की एक अभिन्यास है बेटियां।
काटती है जो कुरीतियों की बेड़ियां।
भ्रूण में होती हत्या जब किसी की बेटी की।
गर्भ में ठहरी क्या कहती है बेटियां।
मैं तो हूं मां तुम्हारी एक परी।
मां तुम भी हो तो किसी की बेटियां।
जो मां तुम्हारे संग ऐसा ही करती।
बेटों को भी पैदा वही करती है बेटियां।
मां मैं भाई की कलाई पर राखी बांधूंगी।
उससे अपनी रक्षा की वादा मांगूंगी।
बाबूजी की सेवा।
मम्मी तेरा हाथ मैं बटाउंगी।
गोल – गोल न सही रोटी।
किसी देश का नक्शा मैं बनाऊंगी।
रोज बदल – बदल के पकवाने खिलाऊंगी।
घर को स्वच्छता से स्वर्ग बनाऊंगी।
पतंग उड़ाने से लेकर रॉकेट तक उड़ाती है बेटियां।
जो बेटियों को तुम मार दोगे।
तो तुम्हारे बेटों से कौन करेगा शादियां।
मम्मी मैं तो लगता बड़ी हो गई।
तभी मेरी शादी की हड़बड़ी हो रही।
बाबू जी मैं घर को कैसे छोडूंगी।
मम्मी का आंचल पकड़कर रोऊंगी।
क्या डका दोगे चौखट अपने घर का।
सबके सामने पराया बना दोगे क्या।
जिन हाथों ने मुझे चलना सिखाया।
उन्हीं हाथो से दामन छुड़ा लोगे क्या।
मम्मी मेरी वो किताब तुम संभाले रखना।
जिसको पढ़ते बीता था मेरा बचपना।
मैं खेली थी जिस घर अंगना।
जहां छनके थे मेरे चूड़ी कंगना।
मैं बाबू का घर छोड़ के।
बाबुल के घर आ गई।
मेरी सासु मां बहुरिया कहकर बुला रही ।
मोरे सजना मिलाए नजर से नजर।
मैं तो शर्म से हो गई तार – तार।
करूं मैं श्रृंगार देखूँ जब आईना।
लगता सब कुछ फीका।
मां तेरे माथे पे काजल के टीका के बिना।
सोच सोचकर मेरी अंखियां भर गई।
क्यों मेरी शादी की उमर हो गई।
मां के आंचल के आड़ से क्यों बिछड़ गई।
खेलती थी जब मैं अपने घर द्वारे।
बाबू की गुड़िया रानी बिट्टी कहकर पुकारें।
बाबू जी के कंधे चढ़ आसमान को छुआ।
उड़ता था मेरे सिर के ऊपर से बादल का धुआं।
छूट गई गलियां इक दिन की शहनाई में।
हूं मैं खुश अपने बालमा की कमाई में।
दहेज से परहेज करो।
अच्छी समाज की इमेज करो।
कन्यादान से बड़ा न कोई दान है।
बेटा, बेटियों से ही चलता खानदान है।
उनसे बड़ा न कोई सामान है।
लक्ष्मी विराजे उस घर में।
जिस घर में होता बेटियों का सम्मान है।
घर को जन्नत आलय बनाती है बेटियां।
मां – बाप के हाथों की लकड़ी है बेटियां।
सबके हृदय की है चहेतियां।
बेटी ही है इस धरा की पेटियां।
हाथ में रक्षा का धागा है कोई।
रक्षा के बंधन की डोर है बेटियां।
यही बनती है वैज्ञानिक, साध्वी, अभिनेत्रियां।
कई सीख समाज को देती है बेटियां।
घर की रसोइया संभालती है बेटियां।
अपने बच्चो का ख्याल रखती है बेटियां।
बनके दादी मां कहानी सुनाती है बेटियां।
बनके मां लोरी गाती है बेटियां।
ब्यूटी पार्लर,मेहंदी रचाती बेटियां।
देश के यश का परचम लहराती है बेटियां।
ओलंपिक में थी जीती जो मेडल बेटियां।
की गई साथ उनके दरिंदिगिया।
जंतर – मंतर पर धरने पर बैठ गई।
मिला न उनको न्याय तनिक भी रत्तियाँ।
दूसरो के संग जो करोगे गुस्ताखियां।
रूहे कांप जाए जब रोटी है बेटियां।
नारी सशक्तिकरण, नारी सुरक्षा।
हो उनमें अदम्य साहस इच्छा।
देश की विकसित पहलू की रूप है बेटियां।
है स्वतंत्र रूप न हथकड़ी बेटियां।
बेटी तुल्य है ये भारत की मटियां।
दु:ख से न पीटे कोई छाती बेटियां।
चाय के बागान में चाय चुनती है बेटियां।
देश की अर्थव्यवस्था को चलाती है बेटियां।
कहते आनंद है ये देवी बेटियां।
उनके मुस्कुराहट में है अपनी खुशियां।
श्री राम की भार्या मां सीता है बेटियां।
जनकनंदिनी सनातन धर्म की संस्कृतियां।
श्रीकृष्ण संग राधा की प्रेम जोड़ियां।
गंगा,यमुना,सरस्वती बहती बेटी रूप तरिणीयां।
रहते जिस धरा पर भारत मां है बेटियां।
आओ आज प्रण करें।
एक अभियान रण करें।
उच्च शिक्षा दिलाएंगे बेटियों को यूनिवर्सिटियां।
देश की गरिमा, संस्कृति, मान प्रतिष्ठा है बेटियां।
देवी का साकार रूप बेटियां।
देशहित की छवि की हुंकार बेटियां।
किसी की बहू, बहन, मां, दादी नानी , मौसी बुआ, चाची, भाभी, ननद, साली बनती है बेटियां।
हो पल्लवित कुसुमित बेटा और बेटियां।
कोई न रोक – टोंक चढ़े हर सीढियां।
उनसे ही हम और चलती है पीढ़ियां।
बेटा है चिराग तो है चांदनी बेटियां।
बिखेरे जो रोशनी है वो रोशनदान खिड़कियां।
बेटियों के नाम भी करें प्रॉपर्टियां।
आनंद इस साहित्य मंथन में।
करता इक गुहार।
बेटियां हो स्वतंत्र मुखरित हो उनके स्वप्न साकार।

RJ Anand Prajapati

Language: Hindi
167 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

कीमती समय
कीमती समय
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।।
तुम्हें युग प्रवर्तक है शत-शत नमन।।
अनुराग दीक्षित
मनमुटावका आपका ये कैसा अंदाज
मनमुटावका आपका ये कैसा अंदाज
RAMESH SHARMA
"मंजर"
Dr. Kishan tandon kranti
बाबा फ़क़ीर हमारे
बाबा फ़क़ीर हमारे
Buddha Prakash
मेरे लिए
मेरे लिए
Shweta Soni
मन
मन
Harminder Kaur
संवादरहित मित्रों से जुड़ना मुझे भाता नहीं,
संवादरहित मित्रों से जुड़ना मुझे भाता नहीं,
DrLakshman Jha Parimal
जब तुम हारने लग जाना,तो ध्यान करना कि,
जब तुम हारने लग जाना,तो ध्यान करना कि,
पूर्वार्थ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
महिलाएं जितना तेजी से रो सकती है उतना ही तेजी से अपने भावनाओ
Rj Anand Prajapati
जब तक इंसान धन के पीछे भागेगा कामनाएं कभी भी उसका पीछा नहीं
जब तक इंसान धन के पीछे भागेगा कामनाएं कभी भी उसका पीछा नहीं
Rj Anand Prajapati
हाकिम
हाकिम
सिद्धार्थ गोरखपुरी
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
प्रकृति (द्रुत विलम्बित छंद)
Vijay kumar Pandey
हाँ, बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें
हाँ, बहुत प्रेम करती हूँ तुम्हें
Saraswati Bajpai
दिल नहीं ऐतबार
दिल नहीं ऐतबार
Dr fauzia Naseem shad
दर्शन के प्रश्न
दर्शन के प्रश्न
Acharya Shilak Ram
सहूलियत देख कर मिलने आते हो
सहूलियत देख कर मिलने आते हो
Chitra Bisht
शबनम छोड़ जाए हर रात मुझे मदहोश करने के बाद,
शबनम छोड़ जाए हर रात मुझे मदहोश करने के बाद,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*मातृभूमि की सेवा से हम, पीछे नहीं हटेंगे (गीत)*
*मातृभूमि की सेवा से हम, पीछे नहीं हटेंगे (गीत)*
Ravi Prakash
Phoolon ki bahar hoti hai jab tu mere sath hoti hai,
Phoolon ki bahar hoti hai jab tu mere sath hoti hai,
Rishabh Mishra
कुंडलिया छंद
कुंडलिया छंद
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
नए ज़माने की सौतन
नए ज़माने की सौतन
Abhishek Paswan
🌹 इस्लाम  ने  मोहब्बत  का  पैगा़म दिया  है  ।
🌹 इस्लाम ने मोहब्बत का पैगा़म दिया है ।
Neelofar Khan
बात तनिक ह हउवा जादा
बात तनिक ह हउवा जादा
Sarfaraz Ahmed Aasee
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
जो भी सोचता हूँ मैं तेरे बारे में
gurudeenverma198
क्यों कलियों में है बेचैनी ,
क्यों कलियों में है बेचैनी ,
Dr. Sunita Singh
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
ਹਕੀਕਤ ਜਾਣਦੇ ਹਾਂ
Surinder blackpen
हाथी की शादी
हाथी की शादी
विजय कुमार नामदेव
ग़ज़ल
ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
आज  उपेक्षित क्यों भला,
आज उपेक्षित क्यों भला,
sushil sarna
Loading...