Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Feb 2024 · 1 min read

–बेजुबान का दर्द —

नहीं समझ पाया कभी कोई
उस बेजुबान का दर्द।,
जो कराह के बता देता है
न जाने किस की समझ में आये
वो इंसान ही अलग होता है !!

उस परिंदे की उड़ान सब के
मन को भाति है , नभ में
कौन सा दर्द समेटे हुए उड़ा जा रहा है आसमां में
पता नहीं किसी को उस के दर्द का एहसास कैसे होता है !!

किस के तीर का निशाना हुआ
कितना वो परिंदा जख्मी हुआ
किस से जाकर कहेगा दुःख अपना
उस दुःख को कोई समझ जाय
ऐसा इंसान बस आला होता है !!

सुबह परिंदों की कल कल
सब की सुबह में सकूं भर देती है
रात भर किस दर्द से वो तड़पा होगा
कितना करहा होगा अपने जख्म से
शायद उस दर्द को किसी ने तो समझा होता है !!

अजीत कुमार तलवार
मेरठ

Language: Hindi
1 Like · 177 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
View all

You may also like these posts

चुनाव के खेल
चुनाव के खेल
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हमको भी अपनी मनमानी करने दो
हमको भी अपनी मनमानी करने दो
Dr Archana Gupta
म़गरुर है हवा ।
म़गरुर है हवा ।
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
ज़िन्दगी
ज़िन्दगी
डॉक्टर रागिनी
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
"नया दौर"
Dr. Kishan tandon kranti
मनांतर🙏
मनांतर🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
मिलनसार होना गुण है
मिलनसार होना गुण है
Ritesh Deo
We just dream to  be rich
We just dream to be rich
Bhupendra Rawat
कल आज और कल
कल आज और कल
Mahender Singh
23/204. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/204. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
मेरे पापा
मेरे पापा
Pooja Singh
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
उड़ रहा खग पंख फैलाए गगन में।
surenderpal vaidya
4. गुलिस्तान
4. गुलिस्तान
Rajeev Dutta
जब जब हमको याद करोगे..!
जब जब हमको याद करोगे..!
पंकज परिंदा
माया
माया
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dr. Priya Gupta
शिव शक्ति
शिव शक्ति
Anup kanheri
चोट
चोट
आकांक्षा राय
आओ उर के द्वार
आओ उर के द्वार
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
दोहा
दोहा
गुमनाम 'बाबा'
राग दरबारी
राग दरबारी
Shekhar Chandra Mitra
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
बाल कविता: जंगल का बाज़ार
Rajesh Kumar Arjun
- दिल झूम -झूम जाए -
- दिल झूम -झूम जाए -
bharat gehlot
#आज_की_बात
#आज_की_बात
*प्रणय*
जय भवानी, जय शिवाजी!
जय भवानी, जय शिवाजी!
Kanchan Alok Malu
शब्दों में धार नहीं बल्कि आधार होना चाहिए, क्योंकि जिन शब्दो
शब्दों में धार नहीं बल्कि आधार होना चाहिए, क्योंकि जिन शब्दो
ललकार भारद्वाज
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
सुनसान कब्रिस्तान को आकर जगाया आपने
VINOD CHAUHAN
कुंडलियाँ
कुंडलियाँ
seema sharma
दस्तावेज बोलते हैं (शोध-लेख)
दस्तावेज बोलते हैं (शोध-लेख)
Ravi Prakash
Loading...