Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Jun 2023 · 1 min read

बेचैन हम हो रहे

तूने कैसी की मुझसे शरारत सनम, की बेचैन हम हो रहे
हो गया मस्करी का है कैसा जख्म, की बेचैन हम हो रहे।

शर्माता मैं शर्माती तू, आंखें आंखों में जब डालते
कहो खामोश क्यों हो जाते हैं हम, सामने में जब होते खडे
जबसे जाना मोहब्बत, ये मेरा जेहन।
कि बेचैन हम………..

जुड़ बंधन ये क्यों, मिला मौसम ये क्यों
दिल धड़कता क्यूं तेरे नाम से
चाह बढ़ती गई, दिल ये लगता गया
ये नशा भी ना कम है, किसी जाम से
रूठ जाना ना, मुझसे कभी भी सनम ।
कि बेचैन……………..
✍️ बसंत भगवान राय

Language: Hindi
65 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Basant Bhagawan Roy
View all
You may also like:
फनकार
फनकार
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
रोशन सारा शहर देखा
रोशन सारा शहर देखा
कवि दीपक बवेजा
दिल को समझाने का ही तो सारा मसला है
दिल को समझाने का ही तो सारा मसला है
shabina. Naaz
सच्चाई का मार्ग
सच्चाई का मार्ग
AMRESH KUMAR VERMA
"सोच व स्वभाव की असली सूरत सदैव संयम के अनावृत्त
*Author प्रणय प्रभात*
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
अब जीत हार की मुझे कोई परवाह भी नहीं ,
गुप्तरत्न
मकड़ी है कमाल
मकड़ी है कमाल
Buddha Prakash
हम संभलते है, भटकते नहीं
हम संभलते है, भटकते नहीं
Ruchi Dubey
हीरक जयंती 
हीरक जयंती 
Punam Pande
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप।
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सही पंथ पर चले जो
सही पंथ पर चले जो
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
"माँ की छवि"
Ekta chitrangini
सियासी खेल
सियासी खेल
AmanTv Editor In Chief
यादों के झरने
यादों के झरने
Sidhartha Mishra
मेरे अल्फ़ाज़ मायने रखते
मेरे अल्फ़ाज़ मायने रखते
Dr fauzia Naseem shad
*आयु मानव को खाती (कुंडलिया)*
*आयु मानव को खाती (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अन्नदाता,तू परेशान क्यों है...?
अन्नदाता,तू परेशान क्यों है...?
मनोज कर्ण
हायकू
हायकू
Ajay Chakwate *अजेय*
🌷मनोरथ🌷
🌷मनोरथ🌷
पंकज कुमार कर्ण
"छोटी चीजें"
Dr. Kishan tandon kranti
श्रृंगारिक दोहे
श्रृंगारिक दोहे
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
अपने आसपास
अपने आसपास "काम करने" वालों की कद्र करना सीखें...
Radhakishan R. Mundhra
तुझसा कोई प्यारा नहीं
तुझसा कोई प्यारा नहीं
Mamta Rani
सम्यक योग की साधना दुरुस्त करे सब भोग,
सम्यक योग की साधना दुरुस्त करे सब भोग,
Mahender Singh
तू प्रतीक है समृद्धि की
तू प्रतीक है समृद्धि की
gurudeenverma198
✍️नफरत की पाठशाला✍️
✍️नफरत की पाठशाला✍️
'अशांत' शेखर
जितनी बार निहारा उसको
जितनी बार निहारा उसको
Shivkumar Bilagrami
हम-सफ़र
हम-सफ़र
Shyam Sundar Subramanian
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
आस लगाए बैठे हैं कि कब उम्मीद का दामन भर जाए, कहने को दुनिया
Shashi kala vyas
मुट्ठी भर आस
मुट्ठी भर आस
Kavita Chouhan
Loading...