Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Sep 2024 · 1 min read

बेघर

बेघर

अनजान सिंधु की लहरों पर कोई अनभिज्ञ मुसाफिर खड़ा है,
आशा के गोते खाकर ही तो जिंदगी भर बढ़ा है,
गांव के बूढ़े बरगद के नीचे नींद में बेसुध पड़ा है,
देर सवेर की उधेड़बुन में जैसे कोई बेघर।

आंख मिचौली खेलती सड़के शहरों की बढ़ती हलचल,
बाजारों में फिरता बेबस राही ढूंढता पनघट का जल,
दुआ का मारा दवा तलाशे खोकर जीवन का हर पल,
देर सवेर की उधेड़बुन में जैसे कोई बेघर।।

~ ghumantu_hindi

1 Like · 2 Comments · 43 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
" दिल की समझ "
Yogendra Chaturwedi
विकट संयोग
विकट संयोग
Dr.Priya Soni Khare
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
‘लोक कवि रामचरन गुप्त’ के 6 यथार्थवादी ‘लोकगीत’
कवि रमेशराज
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
सुर्ख चेहरा हो निगाहें भी शबाब हो जाए ।
Phool gufran
"The Power of Orange"
Manisha Manjari
कई महीने साल गुजर जाते आँखों मे नींद नही होती,
कई महीने साल गुजर जाते आँखों मे नींद नही होती,
Shubham Anand Manmeet
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
आनंद जीवन को सुखद बनाता है
Shravan singh
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
मेरा तो इश्क है वही, कि उसने ही किया नहीं।
सत्य कुमार प्रेमी
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
इस आकाश में अनगिनत तारे हैं
Sonam Puneet Dubey
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
मेरा भाग्य और कुदरत के रंग..... मिलन की चाह
Neeraj Agarwal
"जीवन क्या है?"
Dr. Kishan tandon kranti
* खिल उठती चंपा *
* खिल उठती चंपा *
surenderpal vaidya
" भींगता बस मैं रहा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
यथार्थ
यथार्थ
Shyam Sundar Subramanian
तुम्हारी यादों के किस्से
तुम्हारी यादों के किस्से
विशाल शुक्ल
कांधा होता हूं
कांधा होता हूं
Dheerja Sharma
इक बार वही फिर बारिश हो
इक बार वही फिर बारिश हो
Mrs PUSHPA SHARMA {पुष्पा शर्मा अपराजिता}
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
तुझसे उम्मीद की ज़रूरत में ,
Dr fauzia Naseem shad
■ आज का शेर
■ आज का शेर
*प्रणय*
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
4579.*पूर्णिका*
4579.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्या हुआ गर नहीं हुआ, पूरा कोई एक सपना
क्या हुआ गर नहीं हुआ, पूरा कोई एक सपना
gurudeenverma198
हकीकत को समझो।
हकीकत को समझो।
पूर्वार्थ
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
*कहा चैत से फागुन ने, नव वर्ष तुम्हारा अभिनंदन (गीत)*
Ravi Prakash
सच का सौदा
सच का सौदा
अरशद रसूल बदायूंनी
“कारवाँ”
“कारवाँ”
DrLakshman Jha Parimal
इंसान
इंसान
Sanjay ' शून्य'
करम धर्म की नींव है,
करम धर्म की नींव है,
sushil sarna
जो चीजे शांत होती हैं
जो चीजे शांत होती हैं
ruby kumari
तारों की बारात में
तारों की बारात में
Suryakant Dwivedi
Loading...