बेकसूरों को ही, क्यों मिलती सजा है

बेकसूरों को ही, क्यों मिलती सजा है।
गुनाहगारों को क्यों नहीं, होती सजा है।।
बेकसूरों को ही————————–।।
आबाद है यहाँ, गुनाह करने वाले।
बर्बाद है यहाँ, सच कहने वाले।।
झूठों को क्यों नहीं,मिलती सजा है।
बेकसूरों को ही ——————–।।
होती है यहाँ जेल, ईमानदारों को।
और मिलती है इज्जत,घूसखोरों को।।
भ्रष्ट लोगों को क्यों नहीं, होती सजा है।
बेकसूरों को ही———————-।।
यहाँ हत्यारें- जुल्मी, रहते हैं बेखौफ।
देशद्रोहियों-पापियों की है, यहाँ मौज।।
चोर- गद्दारों को क्यों नहीं, होती सजा है।
बेकसूरों को ही————————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)