Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 Mar 2023 · 1 min read

बुनते हैं जो रात-दिन

दोहा गीत..

बुनते है जो रात- दिन, षड़यंत्रो का जाल।
उठने लगता है तभी, कृत पर कई सवाल।।

लेते रहिए हर समय, सावधान हो सीख।
कर्म बिना कोई नहीं, बन सकता तारीख।।
वाह-वाह के राग से, खुद का करें उछाल।
उठने लगता है तभी, कृत पर कई सवाल।।

होता है हर आदमी, ज्ञान राशि का पुंज।
पर दुर्गुण के वास से, हो जाता वह लुंज।।
मेल नहीं हो खा रहा, जब रागों से ताल।
उठने लगता है तभी, कृत पर कई सवाल।।

मीठी बातें बोलते, पर रखते मन मैल।
पानी ऊपर तैल- सा, यह जाता है फैल।।
आनंदित होने लगे, जब गर्वित हो भाल।
उठने लगता है तभी, कृत पर कई सवाल।।

अच्छे होते हैं वही, जिनके नेक विचार।
लोभ द्वेष से हैं रहित, वाणी मधु आचार।।
भटकाने मग से लगे, श्रेष्ठ हीन हो चाल।
उठने लगता है तभी, कृत पर कई सवाल।।

बुनते हैं जो रात-दिन, षड़यंत्रो का जाल।
उठने लगता है तभी, कृत पर कई सवाल।।

डाॅ. राजेन्द्र सिंह ‘राही’
(बस्ती उ. प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
55 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

Books from Dr. Rajendra Singh 'Rahi'

You may also like:
वट सावित्री व्रत
वट सावित्री व्रत
Shashi kala vyas
लिख सकता हूँ ।।
लिख सकता हूँ ।।
अभिषेक पाण्डेय ‘अभि ’
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
पंक्ति में व्यंग कहां से लाऊं ?
goutam shaw
बाहरी वस्तु व्यक्ति को,
बाहरी वस्तु व्यक्ति को,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
खजुराहो
खजुराहो
Paramita Sarangi
"पैसा"
Dr. Kishan tandon kranti
*मेरी इच्छा*
*मेरी इच्छा*
Dushyant Kumar
अविकसित अपनी सोच को
अविकसित अपनी सोच को
Dr fauzia Naseem shad
■ सब मुमकिन है...
■ सब मुमकिन है...
*Author प्रणय प्रभात*
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
मेरी निगाहों मे किन गुहानों के निशां खोजते हों,
Vishal babu (vishu)
कारण कोई बतायेगा
कारण कोई बतायेगा
Vijay kannauje
'तड़प'
'तड़प'
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
सप्तपदी
सप्तपदी
Arti Bhadauria
"ये दृश्य बदल जाएगा.."
MSW Sunil SainiCENA
गीत- अमृत महोत्सव आजादी का...
गीत- अमृत महोत्सव आजादी का...
डॉ.सीमा अग्रवाल
💐अज्ञात के प्रति-74💐
💐अज्ञात के प्रति-74💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
आज नहीं तो निश्चय कल
आज नहीं तो निश्चय कल
Satish Srijan
बेगुनाही की सज़ा
बेगुनाही की सज़ा
Shekhar Chandra Mitra
मित्र
मित्र
लक्ष्मी सिंह
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल/गीतिका 】*
*पचपन का तन बचपन का मन, कैसे उमर बताएँ【हिंदी गजल/गीतिका 】*
Ravi Prakash
प्रेम की
प्रेम की
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
मुरली की चाह
मुरली की चाह
Chunnu Lal Gupta
When compactibility ends, fight beginns
When compactibility ends, fight beginns
Sakshi Tripathi
गंवारा ना होगा हमें।
गंवारा ना होगा हमें।
Taj Mohammad
जीवन का मुस्कान
जीवन का मुस्कान
Awadhesh Kumar Singh
अपमान
अपमान
Dr Praveen Thakur
हमने तो सोचा था कि
हमने तो सोचा था कि
gurudeenverma198
ठोकर भी बहुत जरूरी है
ठोकर भी बहुत जरूरी है
Anil Mishra Prahari
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
देने के लिए मेरे पास बहुत कुछ था ,
Rohit yadav
The right step at right moment is the only right decision at the right occasion
The right step at right moment is the only right decision at the right occasion
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...