Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 Mar 2023 · 1 min read

बुद्ध भगवन्

बुद्ध भगवन् हमारे,
देखो ज़रा इनको,
वाणी में है संयम,
मीठी इनकी है वाणी,
मुख मंडल की आभा,
शांति देखो मन में।

पाया है इन्होने,
दुःख से है मुक्ति,
ये करुणा के सागर,
सूखा नहीं कभी जो,
ज्ञान के है द्योतक ,
निर्वाण है बतलाया।

दया से है अपनी,
जग को है उबारा,
मानव जगत का ,
किया है कल्याणम् ,
सत्य मार्ग दिखाया,
भ्रम को है मिटाया।

बुद्ध से बढ़कर,
नहीं कोई तारा,
चमक है इनकी,
कभी कम नहीं होती ,
अमृत है इनका,
धम्म का करना पालन।

रचनाकार-
बुद्ध प्रकाश,
मौदह हमीरपुर।

4 Likes · 2 Comments · 486 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Buddha Prakash
View all
You may also like:
"उम्मीद"
Dr. Kishan tandon kranti
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
*मनुज ले राम का शुभ नाम, भवसागर से तरते हैं (मुक्तक)*
Ravi Prakash
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
दोस्तों बात-बात पर परेशां नहीं होना है,
Ajit Kumar "Karn"
ठिठुरन
ठिठुरन
Mahender Singh
फीका त्योहार !
फीका त्योहार !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
हिन्द देश के वासी हम सब हिन्दी अपनी शान है
Saraswati Bajpai
चम-चम चमके चाँदनी
चम-चम चमके चाँदनी
Vedha Singh
बाजार
बाजार
PRADYUMNA AROTHIYA
"You will have days where you feel better, and you will have
पूर्वार्थ
कर (टैक्स) की अभिलाषा
कर (टैक्स) की अभिलाषा
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
कभी-कभी एक छोटी कोशिश भी
Anil Mishra Prahari
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
वीरान गली हैरान मोहल्ला कुछ तो अपना अंदाज लिखो / लवकुश_यादव_अजल
लवकुश यादव "अज़ल"
..
..
*प्रणय प्रभात*
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
तूने ही मुझको जीने का आयाम दिया है
हरवंश हृदय
माँ तुम याद आती है
माँ तुम याद आती है
Pratibha Pandey
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
इंसान को इंसान से दुर करनेवाला केवल दो चीज ही है पहला नाम मे
Dr. Man Mohan Krishna
मैं  नहीं   हो  सका,   आपका  आदतन
मैं नहीं हो सका, आपका आदतन
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
जिसको भी चाहा तुमने साथी बनाना
gurudeenverma198
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
हम लहू आशिकी की नज़र कर देंगे
Dr. Sunita Singh
खबर देना
खबर देना
Dr fauzia Naseem shad
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
कोई पढ़ ले न चेहरे की शिकन
Shweta Soni
गए थे दिल हल्का करने,
गए थे दिल हल्का करने,
ओसमणी साहू 'ओश'
चारु
चारु
NEW UPDATE
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।
मुश्किल है अपना मेल प्रिय।
Kumar Kalhans
गलतियां हमारी ही हुआ करती थी जनाब
गलतियां हमारी ही हुआ करती थी जनाब
रुचि शर्मा
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
महाकाव्य 'वीर-गाथा' का प्रथम खंड— 'पृष्ठभूमि'
नंदलाल सिंह 'कांतिपति'
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
रमेशराज की चिड़िया विषयक मुक्तछंद कविताएँ
कवि रमेशराज
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
Manisha Manjari
कलयुग और महाभारत
कलयुग और महाभारत
Atul "Krishn"
रक्षाबंधन....एक पर्व
रक्षाबंधन....एक पर्व
Neeraj Agarwal
Loading...