बिन बेटी ममता न पूरी
बिन बेटी ममता न पूरी
माँ की कितनी आस अधूरी ।
बेटी है हर घर का गहना
बिन बेटी सब आँगन सूना ।
बेटी बिना त्योहार अधूरे
बेटी बिना संस्कार न पूरे ।
बेटी है माँ की परछाई
फिर बेटी कैसे हुई परायी ?
बेटी है पापा का अभिमान
उससे पाते सब सम्मान ।
डॉ रीता
आया नगर,नई दिल्ली- 47