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12 Jan 2022 · 1 min read

बिन पेंदी का लौटा

जिस तरह मनुष्य कपड़े बदलता है ,
जिस तरह गिरगिट रंग बदलती है ,
जिस तरह कुदरत मौसम बदलती है ,
ठीक उसी तरह नेता दल बदलता है ,
फिर उसका तेवर बदलता है ,
फिर उसका मौसम की तरह बयान बदलता है ,
अपने स्वार्थ के लिए यह बिन पेंदी का लौटा ,
यह चिकना घड़ा कितने रंग बदलता है ।

Language: Hindi
Tag: मुक्तक
190 Views

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