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22 Jul 2022 · 1 min read

बात होती है सब नसीबों की।

गज़ल

2122…….1212…….22
बात होती है सब नसीबों की।
हो गरीबों की या अमीरों की।1

कोई खाता है रोज ही पिज्जा,
किसी को आस है निवालों की।2

रोज आएं मिलें चले जाएं,
ऐसी किस्मत कहां रकीबों की।3

जो अभी तक सुलझ नहीं पाए,
बात होगी उन्हीं सवालों की।4

झोपड़ी में करे उजाला जो,
है जरूरत उन्हीं मशालों की।5

अब मिसाइल से होते सब हमले,
है जरूरत न बरछी भालों की।6

बात संसद में कौन करता है,
देश में हो रहे बबालों की।7

आओ चर्चा करें सभी मिलकर,
आपसी बन रही दरारों की।8

मय हो मीना हो साकी हो प्रेमी,
कौन सुनता है टूटे प्यालों की।9

………✍️ सत्य कुमार प्रेमी

Language: Hindi
173 Views
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