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2 Nov 2023 · 1 min read

बात पुरानी याद आई

लबों पे फरियाद आई
बात पुरानी याद आई

कैसी वो लाचारी थी
समय की मारी थी
घुट घुट के जीना था
खुद से ही हारी थी

जीत ठोकर के बाद आई
बात पुरानी याद आई

ज़ख्म दिल में छुपाते रहो
आंसू आंख में सुखाते रहो
कोशिश ना छोड़ना कभी
हरपल उसे बुलाते रहो

सर पे फिर ताज आई
बात पुरानी याद आई

ऊंचा- नीचा डगर है
जीवन का सफर है
खोना पाना चलता है
सब समय का असर है

ये समझ ख़ाक आई
बात पुरानी याद आई

नूर फातिमा खातून “नूरी ”
जिला -कुशीनगर
उत्तर प्रदेश
मौलिक स्वरचित

Language: Hindi
1 Like · 223 Views
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