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19 Mar 2024 · 1 min read

बात खो गई

एक ग़ज़ल
कहते कहते बात खो गई
उसने कहा कि रात हो गई

रात की तन्हाई में अकेले
करवटें ही हयात हो गई

यादों के झरोखे से आती हवा
मरहम नहीं आघात हो गई

ये ठंड अब बर्दास्त नहीं होती
गिनती भी तो अशरात हो गई

दिख रहा सही सलामत सबको
हालत ए जिस्म क़नात हो गई

देख पाऊँ दूर तक तेरा साया
पहले ही दृष्टि की मात हो गई

पल्लू के छोर पर बँधी है गाँठ
जो अब तक एहतियात हो गई

लाख चाहकर भी ढूँढू कैसे
तू मौन मुझसे हठात हो गई

मेरे जेहन में अंकित चित्र सी
बिना कलम के दवात हो गई

उम्र तो मेरी भी ढल ही गयी थी
तू पहले ही शब-ए-बारात हो गई

एक मधुर आवाज ने झिड़का
उठ भी जाओ प्रभात हो गई

मैंने तो दर्द लिखा था दिल का
जिंदगी अब तो खैरात हो गई

कहते कहते बात खो गई
उसने कहा कि रात हो गई

भवानी सिंह ‘भूधर’
बड़नगर , जयपुर

Language: Hindi
1 Like · 173 Views
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