Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Aug 2021 · 1 min read

बस लक्ष्य बना

क्यों बेकार में उलझा है
अपनी शक्तिको याद कर
सांसो को भर के पंख पसार
बुद्धि को खोल कर
नया विश्वास भर
आसमान जमीं को एक कर
दर्द में भी राहत है
बस लक्ष्य बना
और उसे हासिल कर

– आनंदश्री

363 Views
You may also like:
सुनो स्त्री
सुनो स्त्री
Rashmi Sanjay
बहुत बातूनी है तू।
बहुत बातूनी है तू।
Buddha Prakash
आंखों में शर्म की
आंखों में शर्म की
Dr fauzia Naseem shad
इक अजीब सी उलझन है सीने में
इक अजीब सी उलझन है सीने में
करन मीना ''केसरा''
*अदब *
*अदब *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि दूसरों से पू
जिन्दगी में फैसले अपने दिमाग़ से लेने चाहिए न कि...
अभिनव अदम्य
पहले प्यार में
पहले प्यार में
श्री रमण 'श्रीपद्'
कह दो ना उस मौत से अपने घर चली जाये,
कह दो ना उस मौत से अपने घर चली जाये,
Sarita Pandey
जितना आवश्यक है बस उतना ही
जितना आवश्यक है बस उतना ही
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
Which have the power to take rebirth like the phoenix, whose power no one can ever match.
Which have the power to take rebirth like the phoenix,...
Manisha Manjari
चंद्रशेखर आज़ाद जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि
चंद्रशेखर आज़ाद जी की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि
Dr Archana Gupta
■ आज की सीख...
■ आज की सीख...
*Author प्रणय प्रभात*
Loneliness in holi
Loneliness in holi
Ankita Patel
वो खिड़की जहां से देखा तूने एक बार
वो खिड़की जहां से देखा तूने एक बार
ठाकुर प्रतापसिंह "राणाजी"
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप ।
पुण्यात्मा के हाथ भी, हो जाते हैं पाप ।
डॉ.सीमा अग्रवाल
में हूँ हिन्दुस्तान
में हूँ हिन्दुस्तान
Irshad Aatif
मुझे मरने की वजह दो
मुझे मरने की वजह दो
सुशील कुमार सिंह "प्रभात"
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
भगवान सर्वव्यापी हैं ।
ओनिका सेतिया 'अनु '
जीवन
जीवन
सत्यम प्रकाश 'ऋतुपर्ण'
💐अज्ञात के प्रति-96💐
💐अज्ञात के प्रति-96💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
नई सुबह नव वर्ष की
नई सुबह नव वर्ष की
जगदीश लववंशी
सीमवा पे डटल हवे, हमरे भैय्या फ़ौजी
सीमवा पे डटल हवे, हमरे भैय्या फ़ौजी
Er.Navaneet R Shandily
फांसी के फंदे से
फांसी के फंदे से
Shekhar Chandra Mitra
*रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही (मुक्तक)*
*रेवड़ी आराम से, अपनों को बाँटी जा रही (मुक्तक)*
Ravi Prakash
कलम
कलम
Sushil chauhan
कवितायें सब कुछ कहती हैं
कवितायें सब कुछ कहती हैं
Satish Srijan
भ्राता हो तुझ सा बलराम...
भ्राता हो तुझ सा बलराम...
मनोज कर्ण
✍️कभी कभी
✍️कभी कभी
'अशांत' शेखर
आंखों की लाली
आंखों की लाली
शिव प्रताप लोधी
तेरा मेरा साथ
तेरा मेरा साथ
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...