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5 Sep 2024 · 1 min read

बस इतने के लिए समेट रक्खा है

बस इतने के लिए समेट रक्खा है
खुद को बरसों से
कभी मिलोंगे तो बिखर जाऊंगा
तेरी बाहों में सिद्दत से
शिव प्रताप लोधी

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