Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Dec 2022 · 1 min read

बस्ती में आग

घूम रहे वो
मस्ती में!
आग लगाके
बस्ती में!!
(१)
सांस भी एक
बोझ बनी
भूखमरी की
पस्ती में!!
(२)
सियासी चूहों
से पूछो
छेद की किसने
कश्ती में!!
(३)
उसी पुलिस ने
लूटा शहर
जो निकली थी
गश्ती में!!
(४)
ख़रीद लो
किसी का ज़मीर
तुम इस दौर-ए-
सस्ती में!!
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
#हकमारी #इंकलाब #अपराध
#सियासत #job #Corruption
#लूट #निजीकरण #health
#education #सांप्रदायिकता

Language: Hindi
47 Views
Join our official announcements group on Whatsapp & get all the major updates from Sahityapedia directly on Whatsapp.
You may also like:
माँ की गोद में
माँ की गोद में
Surya Barman
2326.पूर्णिका
2326.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
चेहरा
चेहरा
नन्दलाल सुथार "राही"
हड़ताल
हड़ताल
नेताम आर सी
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Rap song 【4】 - पटना तुम घुमाया
Nishant prakhar
【30】*!* गैया मैया कृष्ण कन्हैया *!*
【30】*!* गैया मैया कृष्ण कन्हैया *!*
Arise DGRJ (Khaimsingh Saini)
दिल कुछ आहत् है
दिल कुछ आहत् है
श्री रमण 'श्रीपद्'
"बड़ा सवाल"
Dr. Kishan tandon kranti
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ  लोग घंटों  घंटों राम, कृष्ण
हम उसी समाज में रहते हैं...जहाँ लोग घंटों घंटों राम, कृष्ण
ruby kumari
✍️माँ ✍️
✍️माँ ✍️
Vaishnavi Gupta (Vaishu)
होठों पर मुस्कान,आँखों में नमी है।
होठों पर मुस्कान,आँखों में नमी है।
लक्ष्मी सिंह
ऐसे न देख पगली प्यार हो जायेगा ..
ऐसे न देख पगली प्यार हो जायेगा ..
Yash mehra
सदियों से रस्सी रही,
सदियों से रस्सी रही,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
गज़ल सी कविता
गज़ल सी कविता
Kanchan Khanna
सनातन सँस्कृति
सनातन सँस्कृति
Bodhisatva kastooriya
गांव के छोरे
गांव के छोरे
जय लगन कुमार हैप्पी
अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं।
अनकहे शब्द बहुत कुछ कह कर जाते हैं।
Manisha Manjari
#शुभरात्रि
#शुभरात्रि
आर.एस. 'प्रीतम'
क्या कहते स्वर व्यंजन सारे
क्या कहते स्वर व्यंजन सारे
Satish Srijan
सुप्रभातम
सुप्रभातम
Ravi Ghayal
अपनी टोली
अपनी टोली
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
यह तो बाद में ही मालूम होगा
यह तो बाद में ही मालूम होगा
gurudeenverma198
पिता
पिता
Buddha Prakash
एकजुट हो प्रयास करें विशेष
एकजुट हो प्रयास करें विशेष
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
💐प्रेम कौतुक-451💐
💐प्रेम कौतुक-451💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
■ आज की ग़ज़ल
■ आज की ग़ज़ल
*Author प्रणय प्रभात*
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
जाते-जाते भी नहीं, जाता फागुन माह
Ravi Prakash
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
कोशिश कम न थी मुझे गिराने की,
Vindhya Prakash Mishra
मैं कितनी नादान थी
मैं कितनी नादान थी
Shekhar Chandra Mitra
FORGIVE US (Lamentations of an ardent lover of nature over the pitiable plight of “Saranda” Forest.)
FORGIVE US (Lamentations of an ardent lover of nature over the pitiable plight of “Saranda” Forest.)
Awadhesh Kumar Singh
Loading...