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1 Feb 2022 · 1 min read

बसंत ऋतु

??बसंत ऋतु??
बसंत आगमन से धरा,
चैतन्मय हो उठती
प्रकृति कुसुम-कलिकांओ से धरा
महक उठती।
मानुष के रग-रग में उल्लास
नवस्फूर्ति बसंत भर देती।

धरा ने ओढ़ी धानी चूनर,
कोयलिया छेड़े कुहू-कुहू तान—
भंवरे गुन गुंजन करे,
और गाते गान!!!

दरख़्त पल्लवित हो रहे,
खेतों मैं फैली हरियाली
हृदय को बहुत लुभाए,
पेड़ों में रंग बिरंगे सतरंगी फूल
खुश्बू भीनी है फैलाए।

आम के पेड़ो पर आने लगे हैं बौर
सरसों के पीले फूल,
और झींगुर का शोर,
धरा पे छाई ताजी -ताजी हरियाली
लगी डोलने पेड़ों की हर डाली-डाली!!!

सर-सर बहती मलयज पवन
खिल गए धरती और चमन,
शिशिर ऋतु विदा हुआ,
आया उत्साह, उमंग भरा बसंत मौसम,
दिव्य ज्ञान आलोक का,
उल्लास और त्याग, तप का
गुलाबी बसंत मौसम!!!!!!!

सुषमा सिंह *उर्मि,,????️?️?️???

Language: Hindi
Tag: कविता
125 Views

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