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20 Mar 2023 · 1 min read

“बरसात”

“बरसात”

मिलती है जन्नत आफ़ताब के दीदारों में,
जले हैं हम तो बरसात की बौछारों में।
बरसात ने भी यूँ ना कम फ़रेब किया,
खरा जो ना उतर सका अपने ऐतबारों में।
अपनी बेगुनाही की सनद तुम दिखाने निकले,
पैमाने छलक गए ‘किशन’ सिर्फ तकरारों में।

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