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1 Aug 2024 · 1 min read

बरसने दो बादलों को … ज़रूरत है ज़मीं वालों को ,

बरसने दो बादलों को … ज़रूरत है ज़मीं वालों को ,
तुम नहीं समझोगे इनकी क़ीमत… किसानों से पूछो ।
खुश हैं वो …….✍️ नील रूहानी

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