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18 Sep 2016 · 1 min read

बया ना हो पाये मेरी महोबत लब्जो में/मंदीप

बया ना हो पाये मेरी महोबत लब्जो में/मंदीप

बया ना हो पाये मेरी महोबत लब्जो में,
वो किस कदर बसे मेरी खुराफाती दिल में,

मेरे दिल की तपतिश कर लो बेसक,
वो प्यार का महल बनाये है मेरे दिल में,

प्यार मेरा बहता शितल पानी,
जैसे मिले कोई नदी समुन्द्र में।

ऐ इलाही आखिर ये क्या है माजरा,
वो क्यों बसते जा रहे है मेरे दिल में।

रहम कर मेरे भगवान “मंदीप” पर,
जब तक रहूँ वो रहे मेरे दिल में।

मंदीपसाई

Language: Hindi
414 Views
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