मौन की भाषा सिखा दो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कड़वा बोलने वालो से सहद नहीं बिकता
सुकुमारी जो है जनकदुलारी है
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
कभी महफ़िल कभी तन्हा कभी खुशियाँ कभी गम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
“की एक जाम और जमने दे झलक में मेरे ,🥃
पाया हमने आपका , सबका इतना प्यार
अपने देश की अलग एक पहचान है,
*समय की रेत ने पद-चिन्ह, कब किसके टिकाए हैं (हिंदी गजल)*
दर्द जख्म कराह सब कुछ तो हैं मुझ में
जो हमेशा खुशी चाहता हैं वो दुःख भी शत-प्रतिशत पाता हैं.. जो
मेरी काली रातो का जरा नाश तो होने दो
पेड़ से पत्तों का झड़ना क्या होता है,,,,,,
पूर्वोत्तर का दर्द ( कहानी संग्रह) समीक्षा